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Home Literature Short Stories Sampurna Kahaniyan : Manjoor Ehtesham
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Sampurna Kahaniyan : Manjoor Ehtesham
by Manzoor Ehtesham
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorManzoor Ehtesham
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisमंजूर एहतेशाम हमारे समय के अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कथाकार हैं । उनकी रचनाएँ किसी चमत्कार के लिए व्यग्र नहीं दिखतीं, बल्कि वे अनेक अन्तर्विरोधों और त्रासदियों के बावजूद 'चमत्कार की तरह बचे जीवन' का आख्यान रचती हैं । इस संग्रह में उनकी सभी कहानियाँ शामिल हैं । सम्पूर्णता में पढ़ने पर यह स्पष्ट होता है कि मंजूर एहतेशाम मध्यवर्गीय भारतीय समाज के द्वन्द्वात्मक यथार्थ को उल्लेखनीय शिल्प में अभिव्यक्त करते हैं ।
'तमाशा' कहानी का प्रारम्भ है, 'याद करता हूँ तो कोई किस्सा-कहानी लगता है : खुद से बहुत दूर और अविश्वसनीय-सा । यह कमाल वक्त के पास है कि असलियत को किसे-कहानी में तब्दील कर दे ।' किसी भी श्रेष्ठ रचनाकार की तरह यह कमाल मंजूर एहतेशाम के पास भी है कि वे परिचित यथार्थ के अदेखे कोनों-अंतरों को अपनी रचनाशीलता से अदूभुत कहानी में बदल देते हैं ।
स्थानीयता इन कहानियों का स्वभाव और व्यापक मनुष्यता इनका प्रभाव । अपनी बहुतेरी चिन्ता और चेतना के साथ मध्यवर्गीय मुस्लिम समाज मंजूर एहतेशाम की कहानियों में प्रामाणिकता के साथ प्रकट होता रहा है । कुछ इस भाँति कि इनसे विमर्श के जाने कितने सूत्र सामने आते हैं । ये कहानियाँ 'समूची सामाजिकता' का मार्ग प्रशस्त करती हैं । इन रचनाओं में शैली के रेखांकित करने योग्य प्रयोग हैं, फिर भी लक्ष्य है अनकहे सच की अधिकतम अभिव्यक्ति । सहजता इनकी सहजात विशेषता है । मंजूर एहतेशाम का कहानी-समग्र 'सम्पूर्ण कहानियाँ' समय और समाज की आन्तरिकता को समेकित रूप से हमारे लिए चमकदार बनाता है ।