logo
Home Literature Novel Rativilaap
product-img
Rativilaap
Enjoying reading this book?

Rativilaap

by Gaura Pant Shivani
4.5
4.5 out of 5

publisher
Creators
Publisher Radhakrishna Prakashan
Synopsis ‘‘...हमारी मित्रमंडली ने कई दिनों अपनी उस रसप्रिया सखी का मातम मनाया था फिर वर्षों तक मुझे उसका कोई समाचार नहीं मिला।...’’ वही अनसूया अपनी दारुण जीवनी की पोटली लिए लेखिका से एक दिन टकरा गई। जिन पर उसने भरोसा किया, उन्हीं विषधरों ने उसे डँसकर उसके जीवन को रतिविलाप की गूँज से कैसा भर दिया था। ‘‘ ‘अनाचक ही वह पगली न जाने किस गाँव से अल्मोड़ा आ गई थी,’ उस पर...उन्माद भी विचित्र था, कभी झील-सा शीतल, कभी...अग्निज्वाला-सा उग्र...’’ उद्भ्रांत किशनुली को कारवी का ममत्वमय स्पर्श पालतू और सौम्य बना ही चला था कि अभागी अवैध सन्तान ‘करण’ को जन्म दे बैठी। सरल, ममत्वमयी कारवी और पगली किशनुली और उसके ‘ढाँट’ करण की अदभुत गाथा कभी हँसाती है, तो कभी रुला देती है। वस्त्र-चयन ही नहीं पुस्तक चयन में भी बेजोड़ थी कृष्णवेणी। पर दूसरों का भविष्य देख सकने की उसकी दुर्लभ क्षमता ने अनजाने ही उसका भविष्य भी कहला डाला तो? एक मार्मिक प्रेमकथा ! ‘‘मोहब्बत में खरे सोने की खाँटी लीक मैं कहाँ तक अछूती रख पाई हूँ, यह बताना मेरा काम नहीं है,...यदि फिर भी किसी को यह लगे वह अलाँ है या वह फलाँ है, तो मैं कहूँगी, यह विचित्र संयोग मात्र है...।“ सम्पन्न घर में जन्म लेकर भी परित्यक्त रहा डॉ. वैदेही बरवे का बेटा। अभिशप्त किन्नर बिरादरी के सदस्य बने परित्यक्त मोहब्बत की हृदय मथ देनेवाली कहानी।

Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author शिवानी जी का वास्तविक नाम गौरा पन्त था किन्तु ये शिवानी नाम से लेखन करती थीं। इनका जन्म 17 अक्टूबर 1923 को विजयदशमी के दिन राजकोट, गुजरात मे हुआ था। इनकी शिक्षा शन्तिनिकेतन में हुई! साठ और सत्तर के दशक में, इनकी लिखी कहानियां और उपन्यास हिन्दी पाठकों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय हुए और आज भी लोग उन्हें बहुत चाव से पढ़ते हैं। शिवानी का निधन 2003 ई० मे हुआ। उनकी लिखी कृतियों मे कृष्णकली, भैरवी,आमादेर शन्तिनिकेतन,विषकन्या चौदह फेरे आदि प्रमुख हैं। हिंदी साहित्य जगत में शिवानी एक ऐसी शख़्सियत रहीं जिनकी हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उर्दू तथा अंग्रेजी पर अच्छी पकड रही और जो अपनी कृतियों में उत्तर भारत के कुमाऊं क्षेत्र के आसपास की लोक संस्कृति की झलक दिखलाने और किरदारों के बेमिसाल चरित्र चित्रण करने के लिए जानी गई। महज 12 वर्ष की उम्र में पहली कहानी प्रकाशित होने से लेकर 21 मार्च 2003 को उनके निधन तक उनका लेखन निरंतर जारी रहा। उनकी अधिकतर कहानियां और उपन्यासनारी प्रधान रहे। इसमें उन्होंने नायिका के सौंदर्य और उसके चरित्र का वर्णन बडे दिलचस्प अंदाज में किया कहानी के क्षेत्र में पाठकों और लेखकों की रुचि निर्मित करने तथा कहानी को केंद्रीय विधा के रूप में विकसित करने का श्रेय शिवानी को जाता है।वह कुछ इस तरह लिखती थीं कि लोगों की उसे पढने को लेकर जिज्ञासा पैदा होती थी। उनकी भाषा शैली कुछ-कुछ महादेवी वर्मा जैसी रही पर उनके लेखन में एक लोकप्रिय किस्म का मसविदा था।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Radhakrishna Prakashan
  • Pages: 146
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9788183610667
  • Category: Novel
  • Related Category: Modern & Contemporary
Share this book Twitter Facebook


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Bastar Ki Aadivasi Evam Lok Hastshilp Parampara by Harihar Vaishnav
Kariye Chhima by Gaura Pant Shivani
Shakun Ka Shahas by Prabha Saras
Film Udyogi Dadasaheb Phalke by Gangadhar Mahambre
Kachhua Ki Tarha by Rajendra Dani
Chacha Ki Shadi by Shashiprabha Srivastav
Books from this publisher
Related Books
Krishnakali Gaura Pant Shivani
KRISHNA KALI Gaura Pant Shivani
Sampurna Kahaniyan : Shivani (Vol. 1-2) Gaura Pant Shivani
Sampurna Kahaniyan : Shivani (Vol. 1-2) Gaura Pant Shivani
Vatayan Gaura Pant Shivani
Vatayan Gaura Pant Shivani
Related Books
Bookshelves
Stay Connected