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Home Literature Drama Ramleela
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Ramleela
by Rakesh
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorRakesh
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisकेंद्रीय संगीत नाटक अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय नाट्य समारोह 85 में मेघदूत, लखनऊ की प्रस्तुति 'रामलीला' (लेखक : राकेश); (निर्देशक : सूर्यमोहन कुलश्रेष्ठ) कई दृष्टियों से एक अत्यंत असाधारण नाटक था तथा निश्चय ही इसे समारोह की विशिष्टतम प्रस्तुति की संज्ञा दी जा सकती है । प्रस्तुतीकरण के स्तर पर कन्नड़ नाटक 'लक्षपति' तथा मराठी नाटक 'आख्यान' इससे बेहतर कहे जा सकते हैं लेकिन 'रामलीला' का कथ्य और विषयवस्तु इस रूप में कहीं विशिष्ट था कि पारम्परिक 'रामलीला' का इस्तेमाल करते हुए भी लेखक ने बेहद सजगता के साथ उसे संकीर्ण, धार्मिक और रुढ़िवादी ढाँचे से बचाए रखा । 'रामलीला' को ही विषयवस्तु बनाकर लेखक ने एक अभिनय नाट्य-प्रयोग किया और एक स्तर पर जहाँ उसने रामलीला के मूल चरित्रों और हमारे वर्गीय समाज के मूल चरित्रों के बीच के साम्य को स्पष्ट किया, वहीं दूसरे स्तर पर रामलीला के प्रति उच्च एवं निम्न वर्ग के लोगों के विभिन्न दृष्टिकोणों को भी रेखांकित किया है । साथ ही, जिस सामाजिक वातावरण में रामलीला खेली जा रही है, उसके प्रभाव को भी उद्घाटित किया है । समारोह के अन्य नाट्य दलों की तरह रामलीला के लेखक व निर्देशक ने पारम्परिक रंगमंच का अंधानुकरण नहीं किया, इसके विपरीत उन्होंने साम्प्रदायिकता जैसे ज्वलंत सामाजिक और राजनीतिक प्रश्न का सामना करने के ' लिए पारम्परिक रंगमंच की जीवंतता और चुटीलेपन का सफल प्रयोग किया ।
'रामलीला' नाट्य-समारोह 85 का एकमात्र स्मरणीय नाटक है । मुझे विश्वास है कि यह नाटक ऐसे नाट्य-दलों की प्रस्तुतियों में स्थायी रूप से जगह बना लेगा जो सामाजिक अंतर्विरोधों के बारे में लोगों की जागरूकता बढ़ाने के लिए रंगमंच के इस्तेमाल में यकीन रखते हैं । इस प्रक्रिया में 'रामलीला' के समयानुसार परिवर्तन व परिवर्द्धन भी होते रहेंगे ।''
-सफदर हाशमी