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Home Hobbies Cinema Rajkapoor : Aadhi Haqiqat Aadha Fasaana
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Rajkapoor : Aadhi Haqiqat Aadha Fasaana
by Prahlad Agarwal
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorPrahlad Agarwal
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisपरदे पर राजकपूर की छवि यह सोचने को मजबूर करती है कि क्या कोई मनुष्य इतना निश्छल, कोमल और मासूम भी हो सकता है? चार दिल चार राहें का वह निष्ठावान नवयुवक जो भंगिन को व्याह लाने के लिए ढोल बजानेवाले लड़के के साथ अकेला ही निकल पड़ा है, जिंदगी की चालाक सच्चाइयों से बेखबर अनाड़ी, नंगी सच्चाई को देख लेने की सजा भुगतता जागते रहो का माटीपुत्र, ईमानदारी से जिन्दा रहने की लालसा लिये ईमान बेचने को मजबूर श्री 420 का शिक्षित बेरोजगार, तालियों की गडगडाहत और दर्शकों की किलकारियों के बीच अपनी माँ की मौत का आंसुओं की नकली पच्कारी छोड़कर मातम मनाता जोकर-ये सब राजकपूर ही है | और रेणु की माटी के आदमी की आत्मा में प्रवेश कर जानेवाला तीसरी कसम क हीरामन भी यही है |
ये किरदार इसलिए अनोखे बन पड़े हैं क्योकि इनमे जिंदगी का संगीत है | दुखों और अभावों के बीच कराहती मानवता का मजाक नहीं उड़ाया गया है | तकलीफों के बयान में महानता का मुलम्मा भिनाही चढ़ाया गया है |
वह आह में अपनी नायिका से कहता है-‘जी हाँ, मैं सपने बहुत देखता हूँ |’ सपने जो नई दुनिया को रचने में मदद करते हैं | सपने जो न हों तो आदमी भले ही रहे, उसकी आँखों में उजाला और होठों पर मुस्कान कभी न रहे | यही सपने राजकपूर की सबसे बड़ी मिल्कियत हैं |
राजकपूर के रचनात्मक व्यक्तित्व को परत-दर-परत खोलनेवाली एक महत्त्वपूर्ण पुस्तक |