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Home Literature Short Stories Qissa Qissa Lucknowaa
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Qissa Qissa Lucknowaa
by Himanshu Bajpai
4
4 out of 5
Creators
AuthorHimanshu Bajpai
PublisherRajkamal Prakashan, Sarthak
Synopsisकिस्सागोई उर्दू ज़बान का कदीमी फन है, जिसे वक्त के साथ भुला दिया गया था, लेकिन इधर कुछ लोगों की कोशिशों के चलते यह कला वापस मुख्यधारा में आ रही है। हिमांशु बाजपेयी इन्हीं जियालों में एक हैं। इस किताब में उनके लखनऊ से मुतल्लिक किस्से हैं जिन्हें उन्होंने लोगों से, बड़े-बूढ़ों से, किताबों से, और कुछ खुद के अपने तजुर्बों से हासिल करके कलमबंद किया है। कुछ किस्से हो सकता है, पहले आपने सुने हों, लेकिन यहाँ हिमांशु ने उन्हें जिस तरह पेश किया है, वह उन्हें उनके किस्से बना देता है। एक बात और, लखनऊ के बारे में किस्सों की बात आती है तो ध्यान सीधे नवाबों के किस्सों की तरफ चला जाता है, लेकिन ये किस्से आम जन के हैं। लखनऊ की गलियों-मुहल्लों में रहने-सहनेवाले आम लोगों के किस्से। इनमें उनके दु:ख-दर्द भी हैं, उनकी शरारतें भी हैं, उनकी हिकमतें और हिमाकतें भी हैं, गरज़ कि वह सब है जो हर आम शख्स इतिहास द्वारा गढ़े किसी भी नवाब या बादशाह से बड़ी और ज़्यादा काबिले-यकीन शय बनता है। बकौल हिमांशु वाजपेयी ‘‘ये किस्से लखनऊ की मशहूर तहज़ीब के ‘जनपक्ष’ को उभारते हैं... ज़्यादातर किस्से सच्चे हैं। कुछ एक सच्चे नहीं भी हैं...।’’ लेकिन इंसान के रुतबे को बतौर इंसान देखने की उनकी मंशा एकदम सच्ची है। लखनऊ के नवाबों के किस्से तमाम प्रचालित हैं, लेकिन अवाम के किस्से किताबों में बहुत कम मिलते हैं. जो उपलब्ध हैं, वह भी बिखरे हुए. यह किताब पहली बार उन तमाम बिखरे किस्सों को एक जगह बेहद खूबसूरत भाषा में सामने ला रही है, जैसे एक सधा हुआ दास्तानगो सामने बैठा दास्तान सुना रहा हो. खास बातें : • नवाबों के नहीं, लखनऊ के और वहाँ की अवाम के किस्से हैं. • यह किताब हिमांशु की एक कोशिश है, लोगों को अदब और तहजीब की एक महान विरासत जैसे शहर की मौलिकता के क़रीब ले जाने की. • इस किताब की भाषा जैसे हिन्दुस्तानी ज़बान में लखनवियत की चाशनी है.