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Home Reference Politics & Current Affairs Patthar Phenko, Sukhi Raho
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Patthar Phenko, Sukhi Raho
by Gopal Chaturvedi
4.2
4.2 out of 5
Creators
AuthorGopal Chaturvedi
PublisherPrabhat Prakashan
Synopsisइन पेशेवर पत्थर-फेंकुओं की एक और खासियत है कि बड़े होकर ऐसे नन्हे फूस में आग लगाकर चंपत होने में पारंगत हैं। उन्हें नजर बचाकर पत्थर फेंकने का बचपन से अभ्यास है और किसी भी ऐसी वारदात में भाग लेकर भाग लेने का भी। अनुभव के साथ इनमें से कुछ शारीरिक को तज कर शाब्दिक प्रहार में महारत हासिल करते हैं। ऐसों के करतब संसद्, विधानसभा और सार्वजनिक सभाओं की शोभा और आकर्षण हैं।
पत्थर फेंकना कुछ का पेशा है तो बाकी का शौक। जब कोई अन्य निशाना नहीं मिलता है तो लोग एक-दूसरे पर पत्थर फेंकते हैं। कई सियासी पुरुषों का यह पूर्णकालिक धंधा है। साहित्यकार भी इससे अछूते नहीं हैं। कुछ लेखन में जुटे हैं तो चुके हुए दूसरों पर पत्थर फेंकने में। कभी मौखिक, कभी लिखित शाब्दिक पत्थर का प्रहार बुद्धिजीवियों का मानसिक मर्ज है। कभी-कभी लगता है कि इसके अभाव में उन्हें साँस कैसे आएगी?
—इसी पुस्तक से
हिंदी के वरिष्ठ लोकप्रिय व्यंग्यकार श्री गोपाल चतुर्वेदी के व्यंग्यों का यह नवीनतम संग्रह है। हमेशा की तरह समाज में फैली कुरीतियों, बढ़ते भ्रष्टाचार एवं उच्छृंखलता और राष्ट्र-समाज के हितों को ताक पर रखकर भयंकर स्वार्थपरतावाले माहौल पर तीखी चोटें मारकर वे हमें गुदगुदाते हैं, खिलखिलाने पर मजबूर करते हैं, पर सबसे अधिक हमें झकझोरकर जगा देते हैं।