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Home Self Help Spirituality Paradvait Darshan
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Paradvait Darshan
by Dr. Surinder Pal
4
4 out of 5
Creators
AuthorDr. Surinder Pal
PublisherRigi Publication
Synopsisपराद्वैत एक आगमिक दर्षन है। इसे पराद्वय, ईष्वराद्वैत, महाद्वैत आदि विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। इस दर्षन के प्रमुख सूत्रधार श्रीमद् अभिनवगुप्ताचार्य हैं। उनके तन्त्रालोक और मालिनीविजयवात्र्तिक आदि ग्रन्थों में पराद्वैत के सिद्धान्त बिखरे हुए हैं। उन्हीं सिद्धान्तों को आधार बनाकर मैंने इस पराद्वय दर्षन की रचना का संकल्प लिया था। यह ग्रन्थ उसी संकल्प का ही परिणाम है। इस दर्षन के अनुसार परमेष्वर ही सब जड़ाजड़ रूपों में फैला हुआ है। सब कुछ उन्हीं की महाचेतना का ही स्वरूप है, सत्य है। अतः सब बनना, बिगड़ना उन्हीं की ही लीला है। वही वास्तविक भोक्ता ओर भोग्य हैं। ज्ञाता, ज्ञेय और ज्ञान भी वही है। यह सारा संसार उन्हीं की ही अपनी षक्ति का विस्तार है। वही अपने षक्तिरूपी सामथ्र्य से भिन्न भिन्न रूपों में प्रकट होते हैं। वही जीव को बन्धन और मुक्ति के दाता हैं। इसलिये बन्धन इस दर्षन में अपने स्वरूप का तिरोधान है और मोक्ष अनपे स्वरूप का ही फैलाव है। इस दर्षन के अनुसार परमेष्वर की अपनी ही षक्ति भेद, भेदाभेद और अभेद आदि सब रूपों में आकर अपना ही खेल खेलकर स्वयं ही कृतार्थ होती है। यही पराद्वैत है। यही वह वास्तविक दर्षन है जो मनुश्य को अपने सब बन्धनों से सबसे सरल रूप से मुक्त करने में समर्थ है। अतः सांसारिक बन्धनों से मुक्ति चाहने वाले प्रत्येक मनुश्य को इस पराद्वैत दर्षन का अध्ययन मनन जरूरी है।
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Binding: PaperBack
About the author
Specifications
Language: Hindi
Publisher: Rigi Publication
Pages: 120
Binding: PaperBack
ISBN: 9789388393102
Category: Spirituality
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