About the author
फ़िल्मकार, स्क्रीनराइटर, एडिटर, अनुवादक, स्तंभकार, एक्स-पत्रकार। यानी दूसरे शब्दों में 'मौक़ापरस्त’! मूलत: बिहार से। 'नीला स्कार्फ़’ (कहानी-संग्रह; 2014) और 'मम्मा की डायरी’ (कथेतर; 2015) हिन्द युग्म से प्रकाशित। ये दोनों किताबें दैनिक जागरण नील्सन बेस्टसेलर सूची में शामिल हो चुकी हैं। ‘मम्मा की डायरी’ मदरहुड-पैरेंटिंग विषय पर हिंदी में लिखी गई अपनी तरह की पहली और एकमात्र किताब है। 'गाँव कनेक्शन’ के लिए रिपोर्टिंग करते हुए रामनाथ गोयनका अवॉर्ड और लाडली अवॉर्ड मिला। इन दिनों मुंबई, दिल्ली, पूर्णिया और गैंगटोक के बीच कहीं ठिकाने की तलाश में हैं।