Synopsisमंटो फ़रिश्ता नहीं, इन्सान है। इसीलिए उसके चरित्र गुनाह करते हैं। दंगे करते हैं। न उसे किसी चरित्र से प्यार है न हमदर्दी। मंटो न पैगंबर है न उपदेशक। उसका जन्म ही कहानी कहने के लिए हुआ था। इसलिए फ़्साद की बेरहम कहानियाँ लिखते हुए भी उस का कलम पर पूरी तरह काबू रहता था। मंटो की खूबी यह भी थी की वो चुटकी बजते लिखी जाने वाली कहानियाँ भी आज उर्दू-हिन्दी अफ़साने का एक महत्व्व्पूर्ण हिस्सा बन चुकी है। यह पुस्तक पाठक को मंटो के विभिन्न रंगो से रू-ब-रु करती है।
Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author
सआदत हसन मंटो (11 मई 1912 – 18 जनवरी 1955) उर्दू लेखक थे, जो अपनी लघु कथाओं, बू, खोल दो, ठंडा गोश्त और चर्चित टोबा टेकसिंह के लिए प्रसिद्ध हुए। कहानीकार होने के साथ-साथ वे फिल्म और रेडिया पटकथा लेखक और पत्रकार भी थे। अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने बाइस लघु कथा संग्रह, एक उपन्यास, रेडियो नाटक के पांच संग्रह, रचनाओं के तीन संग्रह और व्यक्तिगत रेखाचित्र के दो संग्रह प्रकाशित किए।
कहानियों में अश्लीलता के आरोप की वजह से मंटो को छह बार अदालत जाना पड़ा था, जिसमें से तीन बार पाकिस्तान बनने से पहले और बनने के बाद, लेकिन एक भी बार मामला साबित नहीं हो पाया। इनकी कई रचनाओं का दूसरी भाषाओं में भी अनुवाद किया गया है।