logo
Home Self Help Philosophy Mere Sapnon ka Bharat
product-img product-img
Mere Sapnon ka Bharat
Enjoying reading this book?

Mere Sapnon ka Bharat

by Mahatma Gandhi
4.7
4.7 out of 5

publisher
Creators
Publisher Rajpal
Synopsis महात्मा गाँधी बीसवीं सदी के सबसे अधिक प्रभावशाली भारतीय व्यक्ति हैं, जिनकी अप्रत्यक्ष उपस्थिति उनकी मृत्यु के साठ वर्ष बाद भी पूरे देश पर देखी जा सकती है। उन्होंने स्वाधीन भारत की कल्पना की और उसके लिए कठिन संघर्ष किया। स्वाधीनता से उनका अर्थ केवल ब्रिटिश राज से मुक्ति का नहीं था बल्कि वह गरीबी, निरक्षरता और अस्पृश्यता जैसी बुराइयों से भी मुक्ति का सपना देखते थे। वह चाहते थे कि देश के सारे नागरिक समान रूप से आजादी और समृद्धि का सके सुख पा सकें। उनके बहुत से परिवर्तनकारी विचार, जिन्हें उस समय असंभव कहकर परे कर दिया गया था, आज न केवल स्वीकार किए जा रहे हैं, बल्कि अपनाए भी जा रहे हैं। आज की पीढ़ी के सामने यह स्पष्ट हो रहा है कि गांधीजी के विचार आज भी उतने ही प्रासांगिक हैं, जितने उस समय थे। कहते हैं कि गांधीगीरी आज के समय का मंत्र बन गया है। यह सिद्ध करता है कि गांधीजी के विचार इक्कीसवीं सदी के लिए भी सार्थक और उपयोगी हैं। यह पुस्तक गांधीजी के मन और विचारों की एक विस्मयकारी झांकी प्रस्तुत करती है। इसमें आज के उन्नतिशील भारत के बारे में उनके जीवंत सपनों की झलक मिलती है।

Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author मोहनदास करमचन्द गांधी भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। विश्व-भर में लोग उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं। गांधी जी ने अहिंसक सविनय अवज्ञा का अपना राजनीतिक औजार प्रवासी वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका में भारतीय समुदाय के लोगों के नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष हेतु प्रयुक्त किया। 1915 में भारत वापसी के बाद उन्होंने यहाँ में किसानों, कृषि मजदूरों और शहरी श्रमिकों को अत्यधिक भूमि कर और भेदभाव के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए एकजुट किया। 1921 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बागडोर सँभालने के बाद उन्होंने देशभर में गरीबी से राहत दिलाने, महिलाओं के अधिकारों का विस्तार, धार्मिक एवं जातीय एकता का निर्माण, आत्म- निर्भरता के लिए अस्पृश्यता का अन्त आदि के लिए बहुत से आन्दोलन चलाए। किन्तु इन सबसे अधिक स्वराज की प्राप्ति उनका प्रमुख लक्ष्य था। गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाए गए नमक कर के विरोध में 1930 में दांडी मार्च और इसके बाद 1942 में, ब्रिटिश भारत छोड़ो आन्दोलन से भारतीयों का नेतृत्व कर प्रसिद्धि प्राप्त की। दक्षिण अफ्रीका और भारत में विभिन्न अवसरों पर कई वर्षों तक उन्हें जेल में रहना पड़ा।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajpal
  • Pages: 276
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9788170287391
  • Category: Philosophy
  • Related Category: Self Help & Inspiration
Share this book Twitter Facebook


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Freud Manovishleshan by Sigmond Freud
Bharat Ki Classic Lok Kathayen : Panchatantra Vol III by Rajpal Graphic Studio
Rajpal Pocket English Hindi Dictionary by Hardev Bahri
Aatm Vikas by Anand Kumar
Forge Your Future by A. p. j. abdul kalam
Lokpriya Shayar Aur Unki Shayari - Sardar Jafri by Prakash Pandit
Books from this publisher
Related Books
Prarthna-Pravachan : Vols. 1-2 Mahatma Gandhi
Gita-Mata Mahatma Gandhi
Gita-Mata Mahatma Gandhi
Suno Vidyarthiyo Mahatma Gandhi
SATYA KE SATH MERE PRAYOG MERI ATAMKATH Mahatma Gandhi
Prarthna-Pravachan ` Khand Do Mahatma Gandhi
Related Books
Bookshelves
Stay Connected