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Marusthal Tatha Anya Kahaniyan
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Marusthal Tatha Anya Kahaniyan

by Jaishankar
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Creators
Author Jaishankar
Publisher Vani Prakashan
Synopsis मरुस्थल तथा अन्य कहानियाँ -“सारे दुख एक तरह की अवधारणाएँ हैं। हम सब अपनी अवधारणाओं की वजह से दुख भोगते हैं।" यह एक वाक्य जयशंकर की कहानियों के बीच बिजली की कौंध की तरह चमक जाता है - एक तरह से उनकी लगभग सब कहानियों को चरितार्थ करता हुआ। जयशंकर के पात्र जब इस सत्य से अवगत होते हैं, तब तक अपने 'सत्य' को जीने का समय गुज़र चुका होता है। वह गुज़र जाता है, लेकिन अपने पीछे अतृप्त लालसा की कोई किरच छोड़ जाता है। शायद इसीलिए जयशंकर का विषण्ण रूपक 'मरुस्थल' है, जिसकी रेत इन कहानियों में हर जगह उड़ती दिखाई देती है—वे चाहे अस्पताल के गलियारे हों या सिमिट्री के मैदान या चर्च की वाटिकाएँ। प्रेम, सेक्स, परिवार - क्या इनके अभाव की क्षतिपूर्ति कोई भी आदर्श कर सकता है? आदर्श और आकांक्षाओं के बीच की अँधेरी खाई को क्या क्लासिकल संगीत, रूसी उपन्यास, उत्कृष्ट फ़िल्में - पाट सकती हैं? क्या दूसरों के स्वप्न हमारे अपने जीवन की रिक्तता को रत्तीभर भर सकते हैं? जयशंकर की हर कहानी में ये प्रश्न तीर की तरह बिंधे हैं। 'जीवन ने मुझे सवाल ही सवाल दिये, उत्तर एक भी नहीं।" जयशंकर का एक पात्र अपने उत्पीड़ित क्षण में कहता है। हमारी दुनिया में उत्तरों की कमी नहीं हैं, लेकिन "सही जीवन क्या है?” यह प्रश्न हमेशा अनुत्तरित रह जाता है...जयशंकर की ये कहानियाँ जीवन के इस 'अनुत्तरित प्रदेश' के सूने विस्तार में प्रतिध्वनित होते इस प्रश्न को शब्द देने का प्रयास करती हैं। -निर्मल वर्मा प्रथम संस्करण, 1998

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Binding: PaperBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Vani Prakashan
  • Pages: 158
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9789355181169
  • Category: Short Stories
  • Related Category: Novella
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