logo
Home Literature Novel Manushya Ke Roop
product-img product-img
Manushya Ke Roop
Enjoying reading this book?

Manushya Ke Roop

by Yashpal
4.3
4.3 out of 5

publisher
Creators
Author Yashpal
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis ''लेखक को कला की महानता इसमें है कि उसने उपन्यास में यथार्थ से ही संतोष किया है । अर्थ और काम की प्रेरणाओं की विगर्हणा उसने स्पष्ट कर दी है । अर्थ की समस्या जिस प्रकार वर्ग और श्रेणी के स्वरूप को लेकर खड़ी हुई है, उसमें उपन्यासकार ने अपने पक्ष का कोई कल्पित उपलब्ध स्वरूप एक स्वर्ग, प्रस्तुत नहीं किया, ...अर्थ सिद्धान्त की किसी अयथार्थ स्थिति की कल्पना उसमें नहीं.। समस्त उपन्यास का वातावरण बौद्धिक है 1 अत: आदि से अन्त तक यह यथार्थवादी है । ... मनुष्यों की यथार्थ मनोवृत्ति का चित्रांकन करने की लेखक ने सजग चेष्टा की है ।...यह उपन्यास लेखक के इस विश्वास को सिद्ध करता है कि परिस्थितियों से विवश होकर मनुष्य के रूप बदल जाते हैं । 'मनुष्य के रुप' में मनुष्य की हीनता और महानता के यथार्थ चित्रण का एक विशद् प्रयत्न किया गया है ।'' -डॉ० सत्येन्द्र

Enjoying reading this book?
Binding: PaperBack
About the author यशपाल (3 दिसम्बर 1903 - 26 दिसम्बर 1976 का नाम आधुनिक हिन्दी साहित्य के कथाकारों में प्रमुख है। ये एक साथ ही क्रांतिकारी एवं लेखक दोनों रूपों में जाने जाते है। प्रेमचंद के बाद हिन्दी के सुप्रसिद्ध प्रगतिशील कथाकारों में इनका नाम लिया जाता है। अपने विद्यार्थी जीवन से ही यशपाल क्रांतिकारी आन्दोलन से जुड़े, इसके परिणामस्वरुप लम्बी फरारी और जेल में व्यतीत करना पड़ा। इसके बाद इन्होने साहित्य को अपना जीवन बनाया, जो काम कभी इन्होने बंदूक के माध्यम से किया था, अब वही काम इन्होने बुलेटिन के माध्यम से जनजागरण का काम शुरु किया। यशपाल को साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में भारत सरकार द्वारा सन 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।यशपाल के लेखन की प्रमुख विधा उपन्यास है, लेकिन अपने लेखन की शुरूआत उन्होने कहानियों से ही की। उनकी कहानियाँ अपने समय की राजनीति से उस रूप में आक्रांत नहीं हैं, जैसे उनके उपन्यास। नई कहानी के दौर में स्त्री के देह और मन के कृत्रिम विभाजन के विरुद्ध एक संपूर्ण स्त्री की जिस छवि पर जोर दिया गया, उसकी वास्तविक शुरूआत यशपाल से ही होती है। आज की कहानी के सोच की जो दिशा है, उसमें यशपाल की कितनी ही कहानियाँ बतौर खाद इस्तेमाल हुई है। वर्तमान और आगत कथा-परिदृश्य की संभावनाओं की दृष्टि से उनकी सार्थकता असंदिग्ध है। उनके कहानी-संग्रहों में पिंजरे की उड़ान, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, फूलों का कुर्ता, धर्मयुद्ध, तुमने क्यों कहा था मैं सुन्दर हूँ और उत्तमी की माँ प्रमुख हैं।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 226
  • Binding: PaperBack
  • ISBN: 9788180313882
  • Category: Novel
  • Related Category: Modern & Contemporary
Share this book Twitter Facebook


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Champaran Satyagrah Ka Ganesh by Ajit Pratap Singh
Hindi Vyakaran by Kamta Prasad Guru
Srinkhala Ki Kadiyan by Mahadevi Verma
Kabeer Ki Kavita by Yogendra Pratap Singh
Prayojanmoolak Hindi by Dr. P. Lata
Urilinga Peddi-Kaalavve by Kashinath Ambalge
Books from this publisher
Related Books
Tark Ka Toofan Yashpal
Pratinidhi Kahaniyan : Yashpal Yashpal
Jhootha Sach : Desh Ka Bhavishya (Vol. 2) Yashpal
Jhootha Sach : Vatan Aur Desh (Vol. 1) Yashpal
Jhootha Sach : Desh Ka Bhavishya (Vol. 2) Yashpal
Jhootha Sach : Vatan Aur Desh (Vol. 1) Yashpal
Related Books
Bookshelves
Stay Connected