Synopsisमहापुरुष श्रीमन्त शंकरदेव कृत रुक्मिणी हरण नाट - इतिहासकारों ने भारतीय इतिहास में उदारता से सैकड़ों भक्तों और सन्तों को सादर समादृत किया है। इनमें से किसी के सिर्फ़ फुटकल पद मिलते हैं, किसी का साहित्यिक अवदान बिल्कुल नहीं है, कई-कई तो मन्दिर के व्यवस्थापक या सम्प्रदाय विशेष के संगठक मात्र थे। असमीया भाषा में साहित्यरथी लक्ष्मीनाथ बेजबरुआ, पण्डित वाणीकान्त काकति, पण्डित डिम्बेश्वर नेओग, पण्डित महेश्वर नेओग, नगेन शइकीया, डॉ. नवीन शर्मा जैसे विद्वानों ने श्रीमन्त शंकरदेव पर विस्तार से विचार किया है। पर दूसरी भाषाओं में शंकरदेव पर इतने कम काम हुए हैं कि उनके साथ न्याय नहीं हो पाया है। हिन्दी भाषा में कृष्णनारायण प्रसाद 'मागध', बापचन्द्र महन्त जैसे विद्वानों ने उनकी रचनाओं पर ग्रन्थों की रचना कर उन्हें सर्वभारतीय स्तर पर ले जाने का सराहनीय काम किया है। इसी परम्परा को आगे ले जाने का यह एक प्रयास-भर है। शंकरदेव के छह नाटों में अन्यतम है 'रुक्मिणी हरण नाट' । प्रस्तुत नाट पर एक विहंगम दृष्टि डालने का प्रयास यहाँ हुआ है। साथ ही नाट का हिन्दी लिप्यन्तरण के साथ रूपान्तरण भी किया गया है
Mera Sharir Meri Aatma Ka Sautela Betaby Translated from the English Original My Body is the Stepson of my Soul by Sudeep Sen, Indroduction & Translated by Anamika
Mera Sharir Meri Aatma Ka Sautela BetaTranslated from the English Original My Body is the Stepson of my Soul by Sudeep Sen, Indroduction & Translated by Anamika