Synopsisभारत के स्वतंत्रता-आन्दोलन के ऐसे न जाने कितने अध्याय होंगे, जो इतिहास के पन्नों पर अपनी जगह नहीं बना पाए। देश के दूर-दराज हिस्सों में जनसाधारण ने अपने दम पर विदेशी शासकों से कैसे लोहा लिया, क्या-क्या झेला, उस सबको कलमबन्द करने की उस समय न किसी को इच्छा थी, न अवसर। लेकिन पीढिय़ों तक जीवित रहनेवाली किंवदन्तियों में इतिहास के ऐसे अदेखे सूत्र मिल जाते हैं। 1857 के स्वतंत्रता-संग्राम से पहले 1842 के बुन्देल-विद्रोह का प्रकरण भी ऐसा ही है। लिखित इतिहास में इस विषय पर विस्तार से कहीं कुछ भी उपलब्ध नहीं है, लेकिन कुछ सूचनाएँ अवश्य मिलती हैं। उन्हीं को आधार मानकर जुटाई हुई बाकी जानकारी को लेकर इस नाटक की रचना की गई है। कह सकते हैं कि यह रंगमंच के एक सिद्ध जानकार की कलम से निकली रचना है, जो इस ऐतिहासिक प्रकरण को इतनी सम्पूर्णता से एक नाटक में बदलती है कि इसे पढऩा भी इसे देखने जैसा ही अनुभव होता है। बुन्देलखण्ड की खाँटी ज़ुबान, अंग्रेज़ अ$फसरों की हिन्दी और लोकगीतों के साथ बुनी गई यह नाट्य-कृति एक समग्र नाट्य-अनुभव रचती है।
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Binding: HardBack
About the author
गोविन्द नामदेव का जन्म सागर (म.प्र.) में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा सागर में, बाकी शिक्षा दिल्ली में पूरी की। दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से अभिनय में 3 साल का डिप्लोमा (1975-78), राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय रंगमंडल में अप्रेंटिसशिप और फिर व्यावसायिक अभिनेता के तौर पर कार्य (1978-89)। विश्व की दिग्गज हस्तियों के साथ काम करने का गौरव पाया जिनमें आधुनिक भारतीय नाट्य-जगत के प्रणेता और इनके गुरु प्रो. ई. अलकाज़ी, प्रो. फिट्स बेनेवित्स (जर्मनी), प्रो. रिचर्ड शेखनर (अमेरिका), बैरी जॉन (इंग्लैंड), ब.व. कारंथ, सत्यदेव दुबे, के.एन. पणिक्कर, मोहन महर्षि, भानु भारती, एम.के. रैना, अमाल अलाना आदि हैं।
भारतीय रंग-जगत के ख्याति प्राप्त प्रमुख अभिनेताओं में से एक। विश्वविख्यात बरलाइनर थियेटर फेस्टिवल (जर्मनी) में दो बार प्रदर्शन और इसके साथ ही लन्दन, पोलैंड आदि देशों में भी सफल प्रदर्शन। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के साथ लगातार 14 साल (1975-89) जुड़े रहने के बाद 1990 में फिल्म-जगत में प्रवेश। अब तक 100 से अधिक चर्चित, लोकप्रिय और सफल फिल्मों में महत्त्वपूर्ण किरदार निभाए जैसे—बैंडिट क्वीन, प्रेम ग्रन्थ, विरासत, सरफरोश, कच्चे धागे, गॉड मदर, सत्या, सरकार राज, ओ माई गॉड आदि, जिनके लिए अनेक पुरस्कारों से सम्मानित। वर्तमान में फिल्मों में अभिनय, थियेटर में निर्देशन और अपने अनुभव के निचोड़ को प्रशिक्षण के माध्यम से विद्यार्थियों को बाँटने में प्रयासरत।