Synopsis"कुछ यूँ बोले एहसास" एक अलग सा एहसास भरा संकलन है, जिसमें संकलित रचनाओं को पढ़ने के साथ सहज ही ग़ालिब साहिब का ये शेर अनायास ही ज़हन में रू-ब-रू होता है : नक़्श फ़रियादी है, किसकी शोखि-ए-तहरीर का कागज़ी है पैरहन, हर पैकर-ए-तस्वीर का • "छंद मुक्त मंच के ज़हीन सृजन कर्मियों ने अपनी-अपनी पसंद की अलग अलग विधाओं में लिखी रचनाओं को साझा किया है । "कुछ यूँ बोले एहसास" ----- एक अलग सा गुलदस्ता है अल्फ़ाज़ का, जहां सहज ताज़गी का एहसास, शब्द-शब्द में भावों का खिलता हुआ सुमन अपनी महक के साथ पाठक के मन में गहरे उतरते हुए अपने कोमल स्पर्श के साथ प्रत्येक सृजनधर्मी की अलग पहचान छोड़ता है ।
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Binding: Paperback
About the author
The sections have been written by the authors Shashi Tharoor, Nayantara Sahgal, R. Kannan, Badri Narayan, N.P. Ullekh, Vinay Sitapati, Arun Sinha, Sanjaya Baru, Shutapa Paul and Ajoy Bose.