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Home Maths & Logic Reference Book Kavyanjali Bhor
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Kavyanjali Bhor
by Jagram Singh
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorJagram Singh
PublisherGenNext Publication
Synopsisसाहित्य समाज का दर्पण होता है। समाज अपने अच्छे - बुरे का मूल्यांकन साहित्य के माध्यम से करता है। अत: साहित्य का संबंध् समाज निर्माण के आरम्भिक दिन से ही है। समाज में साहित्य सृजन के सौभाग्य विविध प्रकार प्रचलन में रहे हैं। यह पुष्प जो काव्यांजलि भोर नाम से प्रस्तुत है, उसमें साहित्य की उस पारम्परिक विधा - दोहा, कवित्त के द्वारा आध्यात्मिक और धार्मिक पक्ष का सहारा लेकर मानव मात्र को पग-पग पर सम्भलने की दिशा आदि का बोध होता है। चतुर्थ सोपान की प्राप्ति की सीढ़ी पर एकाग्रचित्त होकर चढ़ने का सौभाग्य प्रदान करता है। इसी नर से नारायण की मंगलयात्रा का साफल्य, साथ ही समुद्र मन्थन से प्राप्त अमृत जो अमरत्व को प्रदान कर जीवन को सुखमय, सानंदमय बनाने का माध्यम है, सहज ही प्राप्त हो जाता है।।