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Home Nonfiction Reference Work Hindi Mein Hum
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Hindi Mein Hum
by Abhay Kumar Dubey
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorAbhay Kumar Dubey
Publisher
Synopsisआधुनिकता के कारख़ाने में भाषा और विचार ‘हिन्दी में हम’--- हिन्दी संस्कृत की बेटी, या उर्दू की दुश्मन, या अंग्रेजी की चेरी नहीं है। अगर वह किसी की बेटी है तो भारतीय आधुनिकता की बेटी है। हिन्दी की आलोचना करने के लिए आधुनिकता के उस कारख़ाने की आलोचना करनी होगी जिसकी कारीगरी का नतीजा यह अनूठी भाषा है। चूँकि इसका सीधा सम्बन्ध आधुनिकता से है, इसलिए भी यह आधुनिक विचारों के साथ बड़ी छूट लेती है, यहाँ तक कि मनमानी भी करती है। समाज के परिवर्तन की गति मंथर होती है। हिन्दी के सम्पर्क-भाषा और राज-भाषा बनने के अलग-अलग सिलसिले भी बहुत धीमे हैं। उनके उतार-चढ़ाव और अन्देशों का स्रोत भारतीय आधुनिकता की पेचीदा राजनीति में निहित है। लोकतंत्र की चक्की भाषा के मसले को भी धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से बारीक पीस रही है। अभय कुमार दुबे की यह किताब हिन्दी, उसकी राजनीतिक-सांस्कृतिक ज़मीन और उससे पैदा होने वाली बहसों के बारे में है। इस पुस्तक में आठ दीर्घकाय निबन्ध हैं। इन सभी निबन्धों के मर्म में वे गरमा-गरम बहसें हैं जो दुबे जी ने अपने साथियों से विकासशील समाज अध्ययन पीठ (सीएसडीएस) में गुजारे पिछले चौदह सालों में की हैं। वाणी प्रकाशन और सी.एस.डी.एस. की साँझा प्रस्तुति वरिष्ठ लेखक व सामाजिक चिंतक अभय कुमार दुबे द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘हिन्दी में हम : आधुनिकता के कारख़ाने में भाषा और विचार’ आप सभी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है। हिन्दी में हम आधुनिकता के कारख़ाने में भाषा और विचार |