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Har Qissa Adhoora Hai
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Har Qissa Adhoora Hai

by Raj Kumar Singh
4.2
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Creators
Author Raj Kumar Singh
Publisher Radhakrishna Prakashan
Synopsis हिन्दी ग़ज़ल अब एक सक्षम विधा बन चुकी है। मौजूदा भारतीय समाज के अनुभव-विस्तार में अलग-अलग जगहों पर अनेक शायर हैं जो उर्दू की इस लोकप्रिय विधा को अपने ढंग से बरत रहे हैं। कहीं उर्दू शब्दों की बहुतायत है, कहीं खड़ी बोली के शब्दों के प्रयोग हैं, तो कहीं आमफहम ज़बान में ज़िन्दगी के तजुर्बों की अक्कासी की जा रही है। राज कुमार सिंह की ग़ज़लें सबकी समझ में आनेवाली शब्दावली में बिलकुल आम मुहावरे को ग़ज़ल में ने की कोशिशें हैं। वे रोज़मर्रा जीवन के अनुभवों और संवेदनाओं को ग़ज़ल के फ़ॉर्म में ऐसे पिरो देते हैं कि पढ़ते हुए पता ही नहीं चलता कि आप ज़िन्दगी से किताब में कब आ गए, और कब किताब से वापस अपनी ज़िन्दगी में चले गए। उनकी एक ग़ज़ल का मतला है जितनी भी मिल जाए कम लगती है/देर से मिली ख़ुशी ग़म लगती है, या फिर यह कि, नज़र को फिर धोखे बार-बार हुए/यूँ जीने के बहाने हज़ार हुए। ये पंक्तियाँ अपनी सहजता में बिना आपको आतंकित किए आपके साथ हो लेती हैं। यही शायर की क़लम की विशेषता है। इस संग्रह में राज कुमार सिंह की उन्वान-शुदा ग़ज़लों के अलावा उनकी नज़्में भी दी जा रही हैं। लगता है जैसे ज़िन्दगी का जो ग़ज़लों से छूट रहा था, उसे उन्होंने नज़्मों में बड़ी महारत के साथ समेट लिया है। प्रेम और ‌बिछोह से प्रोफ़ेशनल जीवन की आधुनिक विडम्बनाओं तक को उन्होंने इन ग़ज़लों और नज़्मों में पिरो दिया है। एक शे’र और देखें–गाँव से हर बार झूठ कहता हूँ/बहुत अच्छे से हम शहर में हैं। कहने की ज़रूरत नहीं कि यह किताब नए से नए पाठक को भी अपने जादू से सरशार करने की क़ुव्वत रखती है।.

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Binding: Paperback
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Radhakrishna Prakashan
  • Pages: 150
  • Binding: Paperback
  • ISBN: 9788183619806
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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