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Home Literature Poetry Dil Se Jo Baat Nikli Ghazal Ho Gayee
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Dil Se Jo Baat Nikli Ghazal Ho Gayee
by Kalim Ajiz
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorKalim Ajiz
Publisher
EditorMoh.Zakir Hussain
Synopsisकलीम आजिज़ उर्दू साहित्य के आधुनिक युग के प्रथम कवि हैं, जिन्हें उर्दू के एक बड़े कवि मीर का अन्दाज़ नसीब हुआ है। उनकी शायरी का अपना एक तेवर है। उनके अन्दर हमेशा मीर की तलाश की जाती रही है क्योंकि उनकी ग़ज़लों के तेवर न केवल मीर की बेहतरीन ग़ज़लों की याद दिलाते हैं, बल्कि उस सोज़ो गुदाज़ से भी अवगत कराते हैं जो मीर का ख़ास हिस्सा है। उनकी शायरी को आमतौर पर तीन दौर में विभाजित किया जा सकता है – (i) ज़ख़्मी होने का दौर (ii) ज़ख़्म देने वालों की पहचान और (iii) ज़ख़्म देने वाला एक व्यक्तित्व बाद में तीनों एक ही व्यक्ति में सिमट आते हैं और फिर वही व्यक्तित्व तन्हा उनकी ग़ज़लों का महबूब बन जाता है। उस व्यक्तित्व में अलामतों की एक पूरी दुनिया समा गयी है। कलीम आजिज़ की ग़ज़लों की ज़मीन तेलहाड़ा की उस मिट्टी से तैयार हुई है, जिसमें दूसरे लोगों के अलावा कलीम आजिज़ की माँ, बहन और परिवार के कई सदस्यों का लहू मिला हुआ है। उन्होंने वास्तव में खून में उँगलियाँ डुबोकर अपनी ग़ज़लें लिखी हैं। कलीम आजिज़ का दुख और ग़म उनकी अपनी विशेष परिस्थिति का फल है। यही उनकी शायरी की एक ऐसी शैली है जो उनकी पहचान बनाती है। कोई दीवाना कहता है कोई शाइर कहता है, अपनी-अपनी बोल रहे हैं हमको बे पहचाने लोग।