Synopsisप्रस्तुत पुस्तक धूमिल और उसका काव्य- संघर्ष' पुस्तक में आदमीयत के लिए निरन्तर संघर्षरत धूमिल के रचना-संघर्ष को ही उसके व्यक्तित्व एवं काव्य के सन्दर्भ में व्याख्यायित करने का प्रयास किया गया है ।
समकालीन हिन्दी कविता में मुक्तिबोध और धूमिल सर्वाधिक चर्चित कवि हैं । उनकी चर्चा का कारण है उनका काव्यगत रचनात्मक संघर्ष । यद्यपि उनके संघर्ष के आयाम अलग हैं, फिर भी .आम आदमी की केन्द्रीय उपस्थिति दोनों की कविता में विद्यमान है । समकालीन समाजवादी सोच की विसंगतियों पर दोनों की ही दृष्टि समान रूप से पड़ी है और मानवीय सन्दर्भ में उसे एक नयी इयत्ता देने का प्रयास दोनों ने अपने-अपने मानसिक स्तर पर किया है ।
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Binding: HardBack
About the author
सुदामा पाण्डेय धूमिल हिंदी की समकालीन कविता के दौर के मील के पत्थर सरीखे कवियों में एक है। उनकी कविताओं में आजादी के सपनों के मोहभंग की पीड़ा और आक्रोश की सबसे सशक्त अभिव्यक्ति मिलती है। व्यवस्था जिसने जनता को छला है, उसको आइना दिखाना मानों धूमिल की कविताओं का परम लक्ष्य है। 9 नवंबर 1936 को बनारस के खेवली गांव में सुदामा पांडेय ‘धूमिल’ का जन्म हुआ था। धूमिल नाम से वह जीवन भर कविताएं लिखते रहे। अल्पायु में ही ब्रेन ट्यूमर की वजह से 10 फरवरी 1975 को उनकी मृत्यु हो गई। आज कवि धूमिल की कविताएं अपने समय से कहीं ज्यादा प्रासंगिक हैं। ‘संसद से सड़क तक’ नामक कविता संग्रह, जो सन 1971 में प्रकाश में आया, में भय, भूख, अकाल, सत्तालोलुपता और अंतहीन भटकाव को रेखांकित करतीं,आक्रामकताा से भरपूर सभी कविताएं अपने आप में बेजोड़ हैं।