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Home Literature Novel Dheere Bahe Done Re : Part-1-2
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Dheere Bahe Done Re : Part-1-2
by Mikhaiel Sholokhov
4.3
4.3 out of 5
Creators
AuthorMikhaiel Sholokhov
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisइस वृहद उपन्यास की जटिल संरचना और प्लॉट के पीछे इतिहास की नियमसंगत निरन्तरता का विचार उपस्थित है । शोलोखोव दो दुनियाओं के बीच के संघर्ष की भव्यता से पाठक का साक्षात्कार कराते हैं । स्थापित सामाजिक सम्बन्धों, संस्थाओं, परम्पराओं, रीति-रिवाजों की दुनिया टूट-बिखर रही है और एक नई दुनिया उभर रही है, स्वयं को स्थापित कर रही है । महत्त्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के साथ ही उपन्यास व्यक्ति और जन समुदाय की ऐतिहासिक नियति के बीच के सम्बन्ध, ऐतिहासिक आवश्यकता और चयन की स्वतंत्रता के प्रश्न तथा त्रासदीपूर्ण संघर्षों और नाटकीय परिणतियों को जन्म देनेवाली ऐतिहासिक परिस्थितियों पर सोचने-विचारने के लिए पाठक को उकसाता है और उन सभी बिन्दुओं पर काव्यात्मक न्यायपूर्ण एवं तर्कपूर्ण अवस्थिति प्रस्तुत करता है । शोलोखोव की कुशलता यह है कि यह सब कुछ वह कला की शर्तों पर नहीं करते, बल्कि इनके द्वारा अपनी कला को और अधिक उन्नत बनाते हैं । वे 'जनगण की नियतियों के महाकाव्यात्मक वर्णन की परम्परा को रचनात्मक ढंग से विकसित करते हुए, एक ऐतिहासिक प्रक्रिया के अंग के रूप में जनता के व्यापक आन्दोलनों के चित्र उपस्थित करते हैं । उपन्यास की कहानी ग्रिगोरी मेलेखोव के इर्द-गिर्द आगे बढ़ती है, लेकिन इसका वास्तविक नायक यही जनता है ।
'धीरे बहे दोन रे. ..' क्रान्ति और गृहयुद्ध के दौरान कज्जाकों के आन्तरिक और बाह्य जगत में मची उथल-पुथल और बदलावों का ग्राफिक चित्रण प्रस्तुत करता है । 'धीरे बहे दोन रे' ने शोलोखोव को न केवल सोवियत लेखकों की अग्रिम पंक्ति में स्थापित कर दिया, बल्कि उन्हें विश्व-स्तर पर चर्चित लेखक बना दिया । इसके लिए उन्हें 1941 में स्तालिन पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।