logo
Home Literature Poetry Deepshikha
product-img
Deepshikha
Enjoying reading this book?

Deepshikha

by Mahadevi Verma
4.3
4.3 out of 5

publisher
Creators
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis दीप-शिखा में मेरी कुछ ऐसी रचनाएँ संगृहीत हैं जिन्हें मैंने रंगरेखा की धुंधली पृष्ठभूमि देने का प्रयास किया है! सभी रचनाओं को ऐसी पीठिका देना न संभव होता है और न रुचिकर, अतः रचनाक्रम की दृष्टि से यह चित्रगीत बहुत बिखरे हुए ही रहेंगे! मेरे गीत अध्यात्म के अमूर्त आकाश के नीचे लोक-गीतों की धरती पर पीला हैं!

Enjoying reading this book?
Binding: HardBack
About the author महादेवी वर्मा (26 मार्च1907 — 11 सितंबर 1987) हिन्दी की सर्वाधिक प्रतिभावान कवयित्रियों में से हैं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे सशक्त कवयित्रियों में से एक होने के कारण उन्हें आधुनिक मीरा के नाम से भी जाना जाता है। कवि निराला ने उन्हें “हिन्दी के विशाल मन्दिर की सरस्वती” भी कहा है।महादेवी ने स्वतंत्रता के पहले का भारत भी देखा और उसके बाद का भी। वे उन कवियों में से एक हैं जिन्होंने व्यापक समाज में काम करते हुए भारत के भीतर विद्यमान हाहाकार, रुदन को देखा, परखा और करुण होकर अन्धकार को दूर करने वाली दृष्टि देने की कोशिश की। न केवल उनका काव्य बल्कि उनके सामाजसुधार के कार्य और महिलाओं के प्रति चेतना भावना भी इस दृष्टि से प्रभावित रहे। उन्होंने मन की पीड़ा को इतने स्नेह और शृंगार से सजाया कि दीपशिखा में वह जन-जन की पीड़ा के रूप में स्थापित हुई और उसने केवल पाठकों को ही नहीं समीक्षकों को भी गहराई तक प्रभावित किया। उन्होंने खड़ी बोली हिन्दी की कविता में उस कोमल शब्दावली का विकास किया जो अभी तक केवल बृजभाषा में ही संभव मानी जाती थी। इसके लिए उन्होंने अपने समय के अनुकूल संस्कृत और बांग्ला के कोमल शब्दों को चुनकर हिन्दी का जामा पहनाया। संगीत की जानकार होने के कारण उनके गीतों का नाद-सौंदर्य और पैनी उक्तियों की व्यंजना शैली अन्यत्र दुर्लभ है। उन्होंने अध्यापन से अपने कार्यजीवन की शुरूआत की और अंतिम समय तक वे प्रयाग महिला विद्यापीठ की प्रधानाचार्या बनी रहीं। उनका बाल-विवाह हुआ परंतु उन्होंने अविवाहित की भांति जीवन-यापन किया। प्रतिभावान कवयित्री और गद्य लेखिका महादेवी वर्मा साहित्य और संगीत में निपुण होने के साथ-साथ कुशल चित्रकार और सृजनात्मक अनुवादक भी थीं। उन्हें हिन्दी साहित्य के सभी महत्त्वपूर्ण पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव प्राप्त है। भारत के साहित्य आकाश में महादेवी वर्मा का नाम ध्रुव तारे की भांति प्रकाशमान है। गत शताब्दी की सर्वाधिक लोकप्रिय महिला साहित्यकार के रूप में वे जीवन भर पूजनीय बनी रहीं। वर्ष 2007 उनकी जन्म शताब्दी के रूप में मनाया गया। 27 अप्रैल 1982 को भारतीय साहित्य में अतुलनीय योगदान के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया था। गूगल ने इस दिवस की याद में वर्ष 2018 में गूगल डूडल के माध्यम से मनाया ।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 121
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788180311192
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
Share this book Twitter Facebook
Related articles
Related articles


Suggested Reads
Suggested Reads
Books from this publisher
Rachnaon Par Chintan by P.N. Singh
Kavya Kavi-Karm : Sathottari Hindi Kavita by A. M. Murlidharn
Madhyayugeen Premakhyan by Shyam Manohar Pandey
Itihas Aur Aalochak Drishti by Ramswroop Chaturvedi
Shri Guru Granth-Darshan by Jairam Mishra
Reti Ke Phool : Dinkar Granthmala by Ramdhari Singh Dinkar
Books from this publisher
Related Books
Himalaya Mahadevi Verma
Sandhini Mahadevi Verma
Saptaparna Mahadevi Verma
Saptaparna Mahadevi Verma
Mera Pariwar Mahadevi Verma
Deepshikha Mahadevi Verma
Related Books
Bookshelves
Stay Connected