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Home Literature Short Stories Corporate Kabootar
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Corporate Kabootar
by Shan
4.1
4.1 out of 5
Creators
AuthorShan
PublisherHind Yugm
Synopsisबात नज़्म से ही शुरू हुई थी मगर, चलते-चलते क़िस्से मिले भी, बने भी। कॉरपोरेट कबूतर ऐसे ही क़िस्सों का जमावड़ा है। इस किताब में कहानियाँ ज़्यादा बड़ी-बड़ी नहीं हैं, बल्कि छोटी-छोटी हैं। चाय के कप जितनी। उम्मीद है चाय की मंडली में लोग सुनने-सुनाने को ज़रूर पसंद करेंगे। इन कहानियों का ज़ायका भी भुरभुरी बिस्किट जैसा बिलकुल नहीं है, कि खाया और ख़त्म। बल्कि कुछ-कुछ सिगरेट जैसा है, कहानियाँ अंदर फेफड़ों तक जाती हैं, और पीने के बाद दो-पाँच मिनट तक किक तो दे ही देती हैं। हाँ, सिगरेट स्वास्थ के लिए हानिकारक है, तो चाय लेते वक़्त आप सिगरेट की जगह कहानियों का कश लगा सकते हैं।
‘कॉरपोरेट कबूतर’ किताब में कहानियाँ सिर्फ कॉरपोरेट वर्ल्ड से ही नहीं हैं, दरअसल इस किताब में एक कहानी का नाम कॉर्पोरेट कबूतर है। दूसरी कहानियाँ आपको शहर और गाँव की सैर कराएँगी। कुछ-एक आपको वापस स्कूल-कॉलेज-क्लासरूम तक भी ले जाएँगी।
उम्मीद है आपको मज़ा आएगा।