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Home Literature Novel Choolaha Aur Chakki
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Choolaha Aur Chakki
by Omprakash Dutt
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorOmprakash Dutt
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisकिसी भी देश या समाज की सांस्कृतिक पहचान सिर्फ वहाँ जन्मे महापुरुषों से ही नहीं बनती बल्कि संस्कृति के निर्माण में उन अनाम लोगों की भी भागीदारी होती है जो रोजमर्रा की गतिविधियों में संलग्न रहते हुए भी अपना एक जीवन–सन्देश छोड़ जाते हैं ।
शहर चकवाल की भागवंती ऐसा ही चरित्र है जिसने अनपढ़ होते हुए भी अपने बच्चों को पढ़ा–लिखाकर न केवल काबिल बनाया बल्कि इंसानियत के गुण भी उनमें विकसित किए । घर–गृहस्थी के चूल्हा, चरखा और चक्की में व्यस्त रहने वाली भागवंती जितनी पारंपरिक है, उतनी ही आधुनिक भी । उसका चरित्र जैसे एक अबूझ पहेली हो ! गांधी हत्या के बाद पहले तो वह अपने पति से कहती है कि ‘‘सोग मनाना है तो मनाओ, तुम्हारे लिए महात्मा होगा या उन लोगों के लिए जो कुर्सियाँ सँभाले बैठे हैं ।’’ लेकिन थोड़ी ही देर बाद जब बहू आकर पूछती है कि आज खाना क्या बनेगा तो एक पल रुककर गुस्से में कहती हैµ‘‘कैसे घर से आई हो तुम ! इतना बड़ा आदमी मर गया और तुम पूछ रही होµखाना क्या पकेगा ! शर्म नहीं आती ?’’
सुख–दुख, हास्य–रुदन, जीवन–मरण, अच्छाई–बुराई की जीवंत झलकियों का सुन्दर कोलाज है यह लघु औपन्यासिक कृति । इसमें आजादी के पूर्व से लेकर गांधी हत्या तक की राजनीतिक हलचलों की अनुगूँज भी सुनाई पड़ेगी । प्रवाहपूर्ण भाषा तथा बतकही के शिल्प में बुना यह उपन्यास बेहद पठनीय बन पड़ा है ।