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Home Literature Poetry Bura Na Maano Democrazy Hai
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Bura Na Maano Democrazy Hai
by Seema Sandeep Tiwari
4.1
4.1 out of 5
Creators
AuthorSeema Sandeep Tiwari
PublisherHind Yugm
Synopsis‘बुरा न मानो डेमोक्रेज़ी है’ एक ऐसा कविता-संग्रह है जो आपके बुकशेल्फ़ और दिल- दोनों में ही घर कर जाएगा। हमारे दिल, दिमाग़, देश और दुनिया में तहलका मचाते कई मुद्दों को आपके समक्ष सरल और सशक्त रूप से रखने का एक सच्चा प्रयास है। इसमें लिखीं कुछ कविताएँ आपको गुदगुदाएँगी, कुछ आपकी आँखें नम कर जाएँगी, कुछ आपके दिल को छू जाएँगी, और कुछ आपको सोचने पर मजबूर कर देंगी। जहाँ ‘बुरा न मानो डेमोक्रेज़ी है’, ‘प्रोपेगेंडा ऊँचा रहे हमारा’, ‘चुनाव’ में देश के डेमॉक्रेसी से डेमोक्रेज़ी के सफ़र की झलक मिलती है, वहीं ‘नसीहत’ और ‘सीता कैसे मनाए दशहरा’ हमारे पुरुष प्रधान समाज के दोगलेपन को उजागर करती है। एक तरफ़ ‘पापा के कंधे’, ‘माँ के हाथों का जादू’ माता-पिता के असीम प्रेम को समर्पित है; वहीं दूसरी ओर ‘अंक’ और ‘मुझसे व्यापार न होगा’ माता-पिता की महत्वाकांक्षाओं के बोझ को उठाते नन्हे कंधों की गुहार है। प्रेम (‘आईना’, ‘शिकवा’), ऊपरवाले (‘क़ाबिल’, ‘खिलौना’), हम-आप (‘काफ़िर’, ‘ख़ून’, ‘भुलक्कड’) के ख़िलाफ़ दर्ज कुछ शिकायतें भी हैं। सीमा संदीप तिवारी का यह कविता-संग्रह भावनाओं का वो आईना है जिसके समक्ष आते ही हर मुद्दे में आपको समाज का ही नहीं, अपना भी अक्स कहीं-न-कहीं ज़रूर नज़र आएगा।