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Home Reference Criticism & Interviews Bhartiya Sahitya
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Bhartiya Sahitya
by Dr. R.I. Santhi
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorDr. R.I. Santhi
PublisherVani Prakashan
Synopsisस्थूल रूप से भारत की विविध भाषाओं के साहित्य की समष्टि का नाम भारतीय साहित्य है। भारतवर्ष अनेक भाषाओं का विशाल देश है भारत के उत्तर पश्चिम में पंजाबी, हिन्दी और उर्दू भाषाएँ बोली जाती हैं। पूर्वी प्रदेश में उड़िया, बंगला और असमिया, मध्य पश्चिम में मराठी और गुजराती और दक्षिण में तमिल, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम। इसके अतिरिक्त कश्मीरी, डोंगरी, सिन्धी, कोंकणी आदि भाषाएँ हैं, जिनका साहित्यिक एवं भाषा वैज्ञानिक महत्त्व कम नहीं है इनमें से प्रत्येक का अपना साहित्य है। कुछ को छोड़कर अधिकांश भाषाएँ प्राचीनता, गुण परिमाण आदि सभी। दृष्टियों से अत्यन्त समृद्ध हैं। इनमें वैदिक संस्कृत, लौकिक संस्कृत या संस्कृत पालि, प्राकृत और अपभ्रंश भाषाओं को भी सम्मिलित किया जाता है। इनमें से प्रत्येक साहित्य का अपना स्वतन्त्र और प्रखर वैशिष्ट्य है। जैसे तमिल का संगम साहित्य, तेलुगु के द्विअर्थी काव्य, मलयालम के सन्देश काव्य, मराठी के पवाड़े, गुजराती के अख्यान, बंगला का मंगलकाव्य, असमिया के बड़गीत, पंजाबी के वीरगीत, उर्दू की ग़ज़ल और हिन्दी का रीतिकाव्य छायावादी काव्य आदि। अतः भारतीय साहित्य अनेक भारतीय भाषाओं के साहित्यों का संचित कोष है। किन्तु यह स्थूल अर्थ मान्य नहीं है। इससे भारत एक राष्ट्र न होकर विविध प्रदेशों का मण्डल मात्र बनकर रह जायेगा और भारतीय संस्कृति अनेक संस्कृतियों का समुच्चय होकर रह जायेगी।