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Home Hobbies Drama & Theatre Bhartiya Cinema Ka Shatabdi Varsh : Pahchan Aur Pratirodh
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Bhartiya Cinema Ka Shatabdi Varsh : Pahchan Aur Pratirodh
by Dr. Vandana Jha
4.7
4.7 out of 5
Creators
AuthorDr. Vandana Jha
PublisherPratishruti Prakashan
Synopsisसिनेमा एक ऐसी प्रविधि का रूप ले चुका है जिसे साहित्य, समाज, राजनीति, संस्कृति के विमर्श के आलोक में देखा और परखा जा रहा है। अकादमिक जगत के लिए वह विश्लेषण और विवेचन का साधन और साध्य दोनों बन चुका है। ऐसे समय में जब भारतीय सिनेमा ने हॉलीवुड के समानांतर अपनी अंतरराष्ट्रीय पहचान बना ली और कथ्य, प्रस्तुतीकरण एवं तकनीक में बदलते भारत की तस्वीर को उकेरना शुरू किया तब यह अंदाजा लगाना कठिन था कि इतने आयामों में यह विशिष्टता प्रकट हो पायेगी।
यह पुस्तक सिनेमा के बहुआयामी पाठ को प्रकट करती है। सिनेमा को कृति मानते हुए समय और समाज के बरक्स संस्कृति के प्रतिमान पर इस पुस्तक के आलेख बहस करते हैं। सिनेमाई परिदृश्य को परखने का काम इस पुस्तक में बड़ी तल्लीनता से किया गया है। सिनेमा के शताब्दी वर्ष के उपरांत यह पुस्तक दृश्य-बिंब के रूपक को नई दृष्टि से देखती है। इस पुस्तक के आलेख बने-बनाये ढाँचे में सिनेमा को देखने के आग्रही नहीं हैं। सिनेमा की भाषा, बाजार, गीत, संगीत, हिन्दू-मुस्लिम संबंध, स्त्री-संबंधी चिंतन, परिवार, पर्यावरण संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चिंतन इस पुस्तक का उद्देश्य है।
लोकप्रिय संस्कृति, सभ्यता विमर्श, संस्कृति के संकट जैसे आलोचनीय शब्दाडंबर से परे यह पुस्तक बहुत सादगी के साथ सिनेमाई सन्दर्भों का आकलन करती है।
वंदना झा ने अपने संपादन में सिनेमा को एक पाठ की तरह पढ़ने और समझने के पद्धतिशास्त्र को विकसित करने का प्रयास किया है। विषयवस्तु की समग्रता के साथ सिनेमा के पाठ को विस्तृत फलक पर देखने और समझने का प्रयास करनेवाले शोधार्थियों के लिए यह पुस्तक निश्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगी।