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Beech Ka Rasta Nahin Hota
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Beech Ka Rasta Nahin Hota

by Pash
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Creators
Author Pash
Publisher Rajkamal Prakashan
Synopsis पाश की कविता हमारी क्रांतिकारी काव्य–परंपरा की अत्यंत प्रभावी और सार्थक अभिव्यक्ति है । मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण पर आधारित व्यवस्था के नाश और एक वर्गविहीन समाज की स्थापना के लिए जारी जनसंघर्षों में इसकी पक्षधरता बेहद स्पष्ट है । साथ ही यह न तो एकायामी है और न एकपक्षीय, बल्कि इसकी चिंताओं में वह सब भी शामिल है, जिसे इर प्रगतिशील काव्य–मूल्यों के लिए प्राय: विजातीय माना जाता रहा है । अपनी कविता के मा/यम से पाश हमारे समाज के जिस वस्तुगत यथार्थ को उद्घाटित और विश्लेषित करना चाहते हैं, उसके लिए वे अपनी भाषा, मुहावरे और बिंबों–प्रतीकों का चुनाव ठेठ ग्रामीण जीवन से करते हैं । घर–आँगन, खेत–खलिहान, स्कूल–कॉलेज, कोट–कचहरी, पुलिस–फौज और वे तमाम लोग जो इन सबमें अपनी–अपनी तरह एक बेहतर मानवीय समाज की आकांक्षा रखते हैं, बार–बार इन कविताओं में आते हैं । लोक–जीवन में ऊर्जा ग्रहण करते हुए भी ये कविताएँ प्रतिगामी आस्थाओं और विश्वासों को लक्षित करना नहीं भूलतीं और उनके पुनर्संस्कार की प्रेरणा देती हैं । ये हमें हर उस मोड़ पर सचेत करती हैं, जहाँ प्रतिगामिता के खतरे मौजूद हैंय फिर ये खतरे चाहे मौजूदा राजनीति की पतनशीलता से पैदा हुए हों या धार्मिक संकीर्णताओं सेय और ऐसा करते हुए ये कविताएँ प्रत्येक उस व्यक्ति से संवाद बनाए रखती हैं जो कल कहीं भी जनता के पक्ष में खड़ा होगा । इसलिए आकस्मिक नहीं कि काव्यवस्तु के संदर्भ में पाश नाज़िम हिकमत और पाब्लो नेरुदा–जैसे क्रांतिकारी कवियों को ‘हमारे अपने कैंप के आदमी’ कहकर याद करते हैं और संबोधन–शैली के लिए महाकवि कालिदास को । संक्षेप में, हिंदी और पंजाबी साहित्य से गहरे तक जुड़े डॉ– चमनलाल द्वारा चयनित, संपादित और अनूदित पाश की ये कविताएँ मनुष्य की अपराजेय संघर्ष–चेतना का गौरव–गान हैं और हमारे समय की अमानवीय जीवन– स्थितियों के विरुद्ध एक क्रांतिकारी हस्तक्षेप ।

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Binding: HardBack
About the author अवतार सिंह संधू (9 सितम्बर 1950 - 23 मार्च 1988), जिन्हें सब पाश के नाम से जानते हैं पंजाबी कवि और क्रांतिकारी थे। अवतार सिंह पाश उन चंद इंकलाबी शायरो में से है, जिन्होंने अपनी छोटी सी जिन्दगी में बहुत कम लिखी क्रान्तिकारी शायरी द्वारा पंजाब में ही नहीं सम्पूर्ण भारत में एक नई अलख जगाई। जो स्थान क्रान्तिकारियों में भगत सिंह का है वही स्थान कलमकारो में पाश का है। इन्होंने गरीब मजदूर किसान के अधिकारो के लिये लेखनी चलाई, इनका मानना था बिना लड़े कुछ नहीं मिलता उन्होंने "हम लड़ेंगे साथी" तथा "सबसे खतरनाक होता है अपने सपनों का मर जाना" जैसे लोकप्रिय गीत लिखे। आज भी क्रान्ति की धार उनके शब्दों द्वारा तेज की जाती है।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Rajkamal Prakashan
  • Pages: 188
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788126707430
  • Category: Poetry
  • Related Category: Literature
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