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Home Reference Women Aurat : Uttarkatha
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Aurat : Uttarkatha
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4.7
4.7 out of 5
Creators
Author
PublisherRajkamal Prakashan
EditorRajendra Yadav, Archana Verma
Synopsisलगभग सात-आठ वर्ष पहले ( १९९४ हठ ने 'औरत : उत्तरकथा' नाम से विशेषांक का आयोजन किया था । बीसवीं सदी के अन्तिम दशक में लगने लगा था कि समाज और साहित्य में औरत की कथा अब वह नहीं रह गई है जो सौ-डेढ़ सौ सालों से कही जाती रही है, क्योंकि उसे 'हम' कहते रहे हैं- 'उसकी' ओर से । हमारे सामने कुछ सवाल थे जो समस्याओं के रूप में रेखांकित किए जा रहे थे, और हम उनके हल उन्हीं बँधे हुए सींचों में थोड़ी फेर-बदल के साथ तलाश रहे थे । लोकतांत्रिक खुलावों ने अब तक अनसुनी आवाजों को साहित्य में 'मित्रो मरजानी' (कृष्णा सोबती), 'आपका बंटी' मन भण्डारी), 'रुकोगी नहीं राधिका' (उषा प्रियंवदा) और 'बेघर' (ममता कालिया) के रूप में सबका ध्यान दूसरे पक्षों की ओर खींचना शुरू कर दिया था । लगा कि हमारे सवालों के उत्तर तो यहाँ से आ रहे हैं । इधर मैत्रेयी पुष्पा की 'चाक' और 'कस्तुरी कुंडल बसै' आदि किताबों को भी इस कड़ी में जोड़ा जा सकता है । पिछली सदी का अन्तिम दशक लगभग स्त्री और दलित-विमर्श के उभार का दशक रहा है । हंस उस पर बात न करे, यह साहित्य और समय के साथ विश्वासघात होगा और यह ऋणशोध किया गया 'औरत : उत्तरकथा' के रूप में. .. इधर यह विशेषांक शुरू से ही अनुपलब्ध हो गया था । आखिर कब तक इसकी फोटो प्रतिलिपियाँ दी जाती रहें-इसी दबाव में तय किया गया कि अब इसे पुस्तकाकार आना चाहिए.. .कुछ रचनाएँ छोड्कर अब यह आपके सामने है ।
भूमिका से