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Home Literature Poetry Asambhav Saransh
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Asambhav Saransh
by Ashutosh Dubey
4.4
4.4 out of 5
Creators
AuthorAshutosh Dubey
Publisher
Synopsisये कविताएँ वे विस्मृत गुप्त अक्षर हैं जो नये द्वार खोलते हैं और इनकी ध्वनि की काया में अगणित आत्माएँ बसती हैं । इनमें से अनेक गहरी व्याख्या की माँग करती हैं । अलग-अलग और एक साथ इनमें स्वरबाहुल्य और सिम्फ़नीय तत्व है जो सभी-कुछ को देखता, महसूसता और बखानता चलता है । भारतीय परंपरा, संस्कृति और जीवन से प्रेरित ये कविताएँ एक वैश्विक दृष्टि लेकर चलती हैं जिससे ब्रह्मांड की गुत्थियों से लेकर भूख, गरीबी, अन्याय, गैर-बराबरी, पर्यावरण, अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार, सामूहिक आकांक्षाएँ, बच्चे, स्त्रियाँ आदि अछूत नहीं रहे हैं हिंदी में इस समय पचास वर्ष की आयु के आसपास और उससे छोटे कई समर्थ और प्रखर कवि हैं जिन्होंनें अपने दूसरे अनेक समवयस्कों और वरिष्ठों के लिए कवि-कर्म कठिन बना डाला है और उनमें से कुछ को तो अप्रासंगिक और निस्तेज-सा कर दिया है । आशुतोष दुबे उन्हीं सक्षम कवियों में हैं जो अपनी कृतित्व में जीवन सारांश को चरितार्थ कर रहे हैं लेकिन उनकी उपलब्धियों को सारांश-रूप में बखान पाना असंभव-सा बनाते जा रहे हैं ।