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Amrit Sanchaya
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Amrit Sanchaya

by Mahashweta Devi
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4.6 out of 5

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Publisher Radhakrishna Prakashan
Synopsis आदिवासी जीवन की प्रामाणिक जानकार के नाते ख्यात लेखिका महाश्वेता देवी ने इतिहास को भी अपने लेखन का विषय बनाया है। पहले उपन्यास झाँसी की रानी, जली थी अग्निशिखा से लेकर प्रस्तुत उपन्यास अमृत संचय तक इस बात के गवाह हैं। यह उपन्यास सन् 1857 से थोड़ा पहले शुरू होता है जब सांगठनिक दृष्टि से देश कमजशेर था। सभी अपने-आपमें मगन, अलग-अलग समूहों, ख़ेमों और राज्यों में विभक्त। 1857 के विद्रोह में बंगाल ने किसी भी प्रकार की हिस्सेदारी नहीं निभाई थी। उधर संथाल में अंग्रेज़ी सत्ता के विरुद्ध बगशवत, नील-कर को लेकर असंतोष और अपेक्षित वेतन न मिलने के कारण सेना भी असंतुष्ट थी। उपन्यास इसी संधिस्थल से आरंभ होता है और तैंतीस वर्षों बाद उस बिंदु पर ख़त्म होता है, जहाँ भारतीय जनमानस के चेहरे और विन्यास में बदलाव नजश्र आने लगा था। गहन खोज और अध्ययन, परिश्रम का प्रतिफल यह उपन्यास तत्कालीन समय की राजनीति, इतिहास, आम जन के स्वभाव-चरित्र, रंग-ढंग, रिवाज-संस्कार को प्रामाणिक तौर पर हमारे सामने लाता है। हालाँकि देशी-विदेशी क़रीब सौ चरित्रों को समेटना मुश्किल काम है, पर महाश्वेता देवी ने अपनी विलक्षण बुद्धि और शैली के बूते इसे संभव कर दिखाया है। लेखिका की पहचान रही उन तमाम ख्षूबियों को समेटे यह बंगला का प्रमुख उपन्यास माना जाता है जिसमें विपरीत स्थितियों में भी जीवन के प्रति ललक है और संघर्ष की आतुरता शेष है।

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Binding: HardBack
About the author जन्म : 1926, ढाका। पिता श्री मनीष घटक सुप्रसिद्ध लेखक थे। शिक्षा : प्रारम्भिक पढ़ाई शान्तिनिकेतन में, फिर कलकत्ता विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए.। अर्से तक अंग्रेजी का अध्यापन। कृतियाँ अनेक भाषाओं में अनूदित। हिन्दी में अनूदित कृतियाँ : चोट्टि मुण्डा और उसका तीर, जंगल के दावेदार, अग्निगर्भ, अक्लांत कौरव, 1084वें की माँ, श्री श्रीगणेश महिमा, टेरोडैक्टिल, दौलति, ग्राम बांग्ला, शालगिरह की पुकार पर, भूख, झाँसी की रानी, आंधारमानिक, उन्तीसवीं धारा का आरोपी, मातृछवि, सच-झूठ, अमृत संचय, जली थी अग्निशिखा, भटकाव, नीलछवि, कवि वन्द्यघटी गाईं का जीवन और मृत्यु, बनिया-बहू, नटी (उपन्यास); पचास कहानियाँ, कृष्णद्वादशी, घहराती घटाएँ, ईंट के ऊपर ईंट, मूर्ति, (कहानी-संग्रह); भारत में बँधुआ मजदूर (विमर्श)। सम्मान : ‘जंगल के दावेदार’ पुस्तक पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। ‘मैगसेसे अवार्ड’ तथा ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ द्वारा सम्मानित। निधन : 28-07-2016 (कोलकाता)।
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Radhakrishna Prakashan
  • Pages: 374
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788171196241
  • Category: Novel
  • Related Category: Modern & Contemporary
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