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Home Literature Poetry Amma Se Batein Aur Kuch Lambi Kavitayan
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Amma Se Batein Aur Kuch Lambi Kavitayan
by Bhagwat Rawat
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorBhagwat Rawat
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisसमकालीन हिन्दी कविता के वरिष्ठ कवि भगवत रावत का काव्य-संसार विविधवर्णी और बहुआयामी है। वे हिन्दी के ऐसे कवि हैं जिन्होंने पिछले पचास वर्षों से निरन्तर रचनारत रहकर अपने आत्मीय देसी मुहावरे में कविता को सम्भव किया है। छोटी कविताओं से लेकर अनेक लम्बी और प्रयोगमूलक कविताओं तक फैला हुआ उनका काव्य-फलक अत्यन्त व्यापक है। उनकी कविताओं का संसार हमारे समाज के निम्नवर्ग से लेकर मध्यवर्ग तक के उन अति साधारण लोगों की जीवन छवियों का ऐसा रचनात्मक दस्तावेज है जो दुनिया में बची हुई मनुष्यता का जीवन्त साक्ष्य है। यथार्थ की ठोस जमीन पर खड़ी उनकी कविता न तो किसी छद्म क्रान्ति का शंखनाद है, न सबकुछ के नष्ट हो जाने की उदासी और अवसाद! उनमें करुणा की ऐसी ऊर्जा है जिसमें जीवन की महक और उसकी खनक छिपी हुई है।
भगवत रावत की कविता रूप और कथ्य के अनेक स्तरों से गुज़रती हुई अपना संसार रचती है। इस दृष्टि से उनकी लम्बी कविताएँ विशेष रूप से द्रष्टव्य हैं। इन कविताओं में उन्होंने बौद्धिकता और आधुनिक जीवन की जटिलताओं को आत्मसात कर जो सहजता और आत्मीयता अर्जित की है, वह समकालीन हिन्दी कविता की विरल उपलब्धि है। ‘अम्मा से बातें’, ‘नकद उधार’, ‘जो भी पढ़ रहा या सुन रहा है इस समय’, ‘लड़का अजूबा’ से लेकर ‘सुनो हिरामन’ और ‘अथ रूपकुमार कथा’ आदि कविताएँ अपनी तरह के अकेले उदाहरण हैं। हाल ही में उनकी लम्बी कविता ‘कहते हैं कि दिल्ली की है कुछ आबोहवा और’ ने न केवल साहित्यिक समाज बल्कि व्यापक पाठक समुदाय को आन्दोलित किया है जिसे कई पत्र-पत्रिकाओं ने अपनी-अपनी तरह से रेखांकित भी किया है।
इन कविताओं को जाने-समझे बिना भगवत रावत के कवि स्वभाव को सम्पूर्णता में पहचानना शायद सम्भव नहीं होगा। प्रस्तुत कविता संग्रह इस दृष्टि से भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।