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Home Reference Criticism & Interviews Aastha Aur Saundarya
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Aastha Aur Saundarya
by Ramvilas Sharma
4.5
4.5 out of 5
Creators
AuthorRamvilas Sharma
PublisherRajkamal Prakashan
Synopsisडॉ. रामविलास शर्मा की यह मूल्यवान आलोचनात्मक कृति भारोपीय साहित्य और समाज में क्रियाशील आस्था और सौन्दर्य की अवधारणाओं का व्यापक विश्लेषण करती है ! इस सन्दर्भ में रामविलास जी के इस कथन को रेखांकित किया जाना चाहिए कि अनास्था और संदेह्वाह साहित्य का कोई दार्शनिक मूल्य नहीं है, बल्कि वह यथार्थ जगत की सत्ता और मानव-संस्कृति के दीर्घकालीन अर्जित मूल्यों के अस्वीकार का ही प्रयास है ! उनकी स्थापना है कि साहित्य और यथार्थ जगत का सबंध सदा से अभिन्न है और कलाकार जिस सौन्दर्य की सृष्टि करता है, वह किसिस समाज-निरपेक्ष व्यक्ति की कल्पना की उपज न होकर विकासमान सामाजिक जीवन से उसके घनिष्ठ सबंध का परिणाम है !
रामविलास जी की इस कृति का पहला संस्करण 1961 में हुआ था ! इस संस्करण में दो नए निबंध शामिल हैं ! एक गिरिजाकुमार माथुर की काव्ययात्रा के पुनार्मुल्यांकन और दूसरा फ़्रांस की राज्यक्रांति तथा मानवजाति के सांस्कृतिक विकास की समस्या को लेकर ! इस विस्तृत निबंध में लेखक ने डॉ महत्तपूर्ण सवालों पर खासतौर से विचार किया है कि क्या मानवजाति के सांस्कृतिक विकास के लिए क्रांति आवश्यक है और फ़्रांस ही नहीं, रूस की समाजवादी क्रांति भी क्या इसके लिए जरूरी थी ? कहना न होगा कि समाजवादी देशों की वर्तमान उथल-पुथल के सदर्भ में इन सवालों का आज एक विशिष्ट महत्त है !
संक्षेप में, यह एक ऐसी विवेचनात्मक कृति है जो किसी भी सौंदर्य-सृष्टि की समाज-निरपेक्षता का खंडन करते हुए उसके सामाजिक-सांस्कृतिक सबंधों और आस्थावादी मूल्यों का तलस्पर्शी उद्घाटन करती है !