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Aadhunik Kavi
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Aadhunik Kavi

by Vishvambhar 'Manav', Ramkishor Sharma
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Creators
Author Vishvambhar 'Manav', Ramkishor Sharma
Publisher Lokbharti Prakashan
Synopsis बीसवीं शताब्दी में खड़ी बोली का काव्य इतना समृद्ध हो गया है कि उसे संसार के किसी भी सभ्य देश के काव्य की तुलना में रखा जा सकता है । इस युग में विभिन्न साहित्यिक वादों और आदोलनों का प्रचार हुआ, इस युग ने हमें प्रथम श्रेणी के अनेक महाकाव्य और खंड-काव्य दिए और इसी युग में एक ओर गीति- काव्य और दूसरी ओर मुक्त छंद का ऐसा प्रसार हुआ, जिसकी समता अतीत के सम्पूर्ण इतिहास में नहीं मिलती । अत: समय की माँग है कि आधुनिक काव्य के भाव-गत एवं कला-गत सौंदर्य का लेखा-जोखा अब लिया जाय । औद्योगीकरण एवं उपभोक्तावादी संस्कृति का प्रभाव केवल निम्न वर्ग पर ही नहीं बल्कि उसके गिरफ्त में सम्पूर्ण मानवीय समाज है । धर्म की अमानवीय व्याख्या स्वार्थपरकता, अर्थलोलुपता, विज्ञान के द्वारा विकसित विनाश के निभिन्न साधन आदि के कारण सम्पूर्ण मनुष्यता के लिए ही संकट पैदा हुआ । मनुष्य का बचना बहुत प्राथमिक है । अभी भी मनुष्य जीवन और मृत्यु के अनेक प्रश्नों से टकरा रहा है । परिवर्तन की गति इतनी तेज है कि यह आशंका होने लगती है कि मनुष्य मनुष्य की पहचान कराने वाले लक्षण ही न लुप्त हो जायें । अशोक बाजपेयी ऐसे रचनाकार हैं जो मनुष्यता के व्यापक प्रश्नों से टकराते हैं और नई परिस्थितियों में मानवीय सभ्यता को रचना के माध्यम से स्थापित करते हैं । नयी कविता से जुड़े अनेक कवियों ने अपनी निजी अनुभूति और शिल्प के द्वारा रचनात्मक ऊचाई हासिल की, उनकी रचनाधर्मिता को काव्य धारा के दायरे में पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता है बल्कि उनका अलग अलग विवेचन अपेक्षित है । इस ग्रन्थ में भारतेन्दु से लेकर अरुण कमल तक ऐसे चौवालिस प्रतिनिधि कवियों के काव्य का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है जिनका साहित्य के इतिहास में विशेष महत्व है और जिन्होंने अपनी साधना से अपने व्यक्तित्व की छाप इस युग पर किसी न किसी रूप में छोड़ी है ।

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Binding: HardBack
About the author
Specifications
  • Language: Hindi
  • Publisher: Lokbharti Prakashan
  • Pages: 360
  • Binding: HardBack
  • ISBN: 9788180312762
  • Category: Criticism & Interviews
  • Related Category: Politics & Current Affairs
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