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Home Reference Criticism & Interviews Aadhunik Hindi Kavya Aur Puran Katha
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Aadhunik Hindi Kavya Aur Puran Katha
by Malti Singh
4.8
4.8 out of 5
Creators
AuthorMalti Singh
PublisherLokbharti Prakashan
Synopsisप्राचीनता पुराणों का गुण है, लेकिन वे नव्या, नूतन और नवीन भी हैं! अमरकोशकार ने इनकी इस विशेषता की और संकेत किया है-प्रत्याग्रोभिनवो के कारण पुराणकथाएं प्राचीन कल से लेकर आधुनिक कल तक साहित्य की उपजीव्य बनती रही हैं!
आधुनिक हिंदी-काव्य में भारतेंदुयुग से लेकर अब तक पुराणकथाओं के प्रयोग की विस्तृत, विविध एवं अविछिन्न परंपरा प्राप्त होती है! विशेष बात यह है कि आधुनिक हिंदी-काव्य में प्रयुक्त पुराणकथाएं,पुराण निर्दिष्ट आशय से भिन्न, परिवर्तित होती हुई काव्य-चेतना के परिप्रेक्ष्य में नवीन भावों से अनुवेश्थित होकर नितांत नवीन संदर्भो की सृष्टि करती हैं!
भारतीय जनता की स्वातंत्रय-चेतना एवं जीवित जोश को अभिव्यक्ति के लिए पुराणिक कथा-प्रसंगों एवं पत्रों का उपयोग भारतेन्दुयुगीन एवं द्विवेदीयुगीन कवियों की विवशता बन गई थी! छायावादी सूक्ष्म भ्वानुभुती एवं विचारानुभुती की अभिव्यकि के लिए पुराणिक कथाएं सशक्त माध्यम सिद्ध होती हैं! भोतिक यथार्थवाद को स्वीकृति प्रदान करनेवाले प्रगतिवादी कवियों ने भी पुराणिक प्रतीकों का प्रयोग खूब किया है!