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Aadarsh Prabandhan Ke Sookta
by Suresh Kant
4.7
4.7 out of 5
Creators
AuthorSuresh Kant
PublisherRadhakrishna Prakashan
Synopsisप्रबंधन आत्म-विकास की एक सतत् प्रक्रिया है। अपने को व्यवस्थित-प्रबंधित किए बिना आदमी दूसरों को व्यवस्थित-प्रबंधित करने में सफल नहीं हो सकता, चाहे वे दूसरे लोग घर के सदस्य हों या दफ्तर अथवा कारोबार के। इस प्रकार आत्म-विकास ही घर-दफ्तर दोनों की उन्नति का मूल है। इस लिहाज से देखें, तो प्रबंधन का ताल्लुक कम्पनी-जगत के लोगों से ही नहीं, मनुष्य मात्र से है। वह इंसान को बेहतर इंसान बनाने की कला है, क्योंकि बेहतर इंसार ही बेहतर कर्मचारी, अधिकारी, प्रबंधक या करोबारी हो सकता है।
‘आदर्श प्रबंधन के सूक्त’ में संकलित आलेखों को पाँच खंडों में विभाहित किया गया है: व्यक्तित्व-विकास, कैरियर निर्माण, औद्योगिक सम्बन्ध, समय-प्रबंधन और कौशल-विकास। इस पुस्तक से आप अपनी व्यक्तिगत क्षमताओं की लगातार जाँच-परख और आशावाद की उपयोगिता को समझ सकते हैं। साथ ही खुश रहने, अपनी भीतरी शक्तियों के विकास, अपनी सामर्थ्य के भरसक उपयोग और सटीक लक्ष्य-निर्धारण की व्यावसायिक उपादेयता का आकलन कर सकते हैं। इसके अलावा संघर्षों की महत्ता, पेशा बदलने से सफलता, सलाहकार व कार्यपालक के आपसी रिश्तों, और साख आदि विषयों पर भी इसमंे प्रकाश डाला गया है।
प्रबंधन और आत्मविकास के क्षेत्र में वर्षों से अध्ययन व लेखनरत लेखक की एक महत्वपूर्ण पुस्तक।