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Home Reference Criticism & Interviews 21vin Sadi Ki Or
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21vin Sadi Ki Or
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4.1 out of 5
Creators
Author
PublisherRajkamal Prakashan
EditorSuman Krishnakant
Synopsisभारत में नारियों को प्रेम, बलिदान तथा विनम्रता के प्रतीक के रूप में सराहा गया है । इसके बावजूद विडम्बना यह है कि महिलाओं को, जिन्होंने अपने परिवार तथा समाज के विकास के लिए स्वयं को मिटा दिया, योजनाबद्ध विकास के पाँच दशकों के बाद भी उन्हें सामाजिक व्यवस्था में यथोचित स्थान नहीं मिला । वे सर्वाधिक उपेक्षित रही हैं । उन्हें अपने वास्तविक स्वरूप में आने और अपनी पूर्ण क्षमता दिखाने का अवसर ही (नहीं दिया गया । पुरुष-प्रधान समाज ने काफी हद तक अपनी घिसी-पिटी मान्यताओं को मजबूत किया है तथा महिलाओं के मानस को नियंत्रित किया है ।
समानता के लिए महिलाओं के संघर्ष का इतिहास अतीत में महिलाओं की स्थिति का प्रमाण है । वैदिक काल में महिलाओं को सम्मानजनक स्थान प्राप्त था 1 महिलाओं के लिए ज्ञान के सारे अवसर खुले हुए थे । यह स्त्री-पुरुष के बीच पूर्ण सौहार्द और समानता का युग था । महिलाओं की स्थिति में गिरावट वैदिक काल के बाद तब से शुरू हुई, जब से हिन्दू समाज के कतिपय ग्रंथों ने पुरुषों पर महिलाओं की पूर्ण निर्भरता तथा उनकी अधीनता की पुरजोर वकालत की. .. ।
(भूमिका से...)
स्वतंत्रता के बाद भारतीय स्त्री की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति में काफी सुधार हुआ है । बहुत थोड़े पैमाने पर ही सही, लेकिन इक्कीसवीं सदी की स्त्री-छवि बड़ी तेजी से आकार ग्रहण कर रही है । और, हम उम्मीद कर सकते हैं कि नई सदी में वह भारतीय समाज की एक समर्थ, और स्वतंत्र इकाई होगी ।
यह आज भी नहीं कहा जा सकता कि स्त्री के सामने मौजूद तमाम चुनौतियाँ, दुविधाएं और बाधाएँ पूरी तरह दूर कर ली गई हैं । समस्याएँ हैं, लेकिन उनसे दो-चार होने का साहस अब उतना दुर्लभ नहीं है जितना पहले था ।
यह पुस्तक हमें इन दोनों पहलुओं से अवगत कराती है, इसमें नया इतिहास रचती भारतीय नारी है, तो पीड़ा की आग में झुलसती औरत भी है । स्वतंत्रता और सुरक्षा का कठिन चुनाव है, विज्ञापनों में उभरती नई नारी-छवि है, पंचायत व्यवस्था में संलग्न महिलाएँ है नारी-साक्षरता के प्रश्न हैं, उनकी कानूनी हैसियत पर विचार है और भारत के स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान मुक्ति का अर्थ समझती औरतें भी हैं । यह पुस्तक वर्तमान और जन्म ले रही स्त्री का समग्र खाका प्रस्तुत करती है ।