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Ananya mukherjee अनन्या मुखर्जी ने अपना बचपन नागपुर और दिल्ली में बिताया, जहाँ उन्होंने कॉलेज की पढ़ाई की। उन्होंने सिम्बायोसिस कॉलेज, पुणे से मास कम्यूनिकेशन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की, और वे अपने बैच की टॉपर थीं। पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की शिक्षा ग्रहण करने के लिए वह आस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ वोल्लोंगोंग गई। अपने सत्रह साल के पेशेवर जीवन में उन्होंने कई जानी मानी पीआर कम्पनियों और कॉर्पोरेट कम्पनियों के साथ काम किया, जिनमें कॉर्पोरेट वोयस, गुड रिलेशंस, इंजरसोल रैंड और डालमिया भारत ग्रुप शामिल हैं। 2012 में शादी के बाद वे जयपुर चली गई, जो उनका दूसरा घर बन गया। 2016 में पता चला कि अनन्या को स्तन कैंसर था, जब उनका इलाज चल रहा था तो उन्होंने कैंसर से जुड़े अपने अनुभवों, और इस बारे में कि कैंसर का मुकाबला किस तरह किया जाए के बारे में लिखना शुरू कर दिया, जो इस किताब के रूप में सामने है। कीमोथेरेपी के पचास से अधिक सत्रों से गुज़रने के बावजूद अनन्या शब्दों से जादू जगा देती थीं। यह किताब उन लोगों के जीवन में उम्मीद की किरण की तरह हो सकती है जिनको कैंसर है और उनके परिजनों तथा देखभाल करने वालों के लिए भी जो मरीज़ के साथ-साथ इस बीमारी को अनुभव कर रहे होते हैं। 18 नवम्बर, 2018 को अनन्या कैंसर से लड़ाई हार गई।

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Thaharti Sanson Ke Sirhane Se : Jab Zindagi Mauj Le Rahi Thi by Ananya Mukherjee ₹125
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