मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब”को उर्दू का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है। मिर्ज़ा ग़ालिब उन शायरों में से हैं जिनको उनके जीवन में तो उतनी ख्याति तो न मिली लेकिन उनकी योग्यता और विद्वत्ता की धाक सभी पर…
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब”को उर्दू का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है। मिर्ज़ा ग़ालिब उन शायरों में से हैं जिनको उनके जीवन में तो उतनी ख्याति तो न मिली लेकिन उनकी योग्यता और विद्वत्ता की धाक सभी पर…
कू-ब-कू फैल गई बात शनासाई की उस ने ख़ुशबू की तरह मेरी पज़ीराई की कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस ने बात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की परवीन शाकिर के शेरों में लोकगीत की…
"..जो ग़ायब भी है हाज़िर भी जो मंज़र भी है नाज़िर भी उट्ठेगा अन-अल-हक़ का नारा जो मैं भी हूँ और तुम भी हो.." उर्दू शायरी के अजीमुश्शान शायर - फै़ज़ अहमद फ़ैज़ अपनी शायरी को अपने लहू की आग…