साग-मीट बनाना क्या मुश्किल काम है। आज शाम खाना यहीं खाकर जाओ, मैं तुम्हारे सामने बनवाऊँगी, सीख भी लेना और खा भी लेना। रुकोगी न? इन्हें साग-मीट बहुत पसंद है। जब कभी दोस्तों का खाना करते हैं, तो साग-मीट जरूर…
साग-मीट बनाना क्या मुश्किल काम है। आज शाम खाना यहीं खाकर जाओ, मैं तुम्हारे सामने बनवाऊँगी, सीख भी लेना और खा भी लेना। रुकोगी न? इन्हें साग-मीट बहुत पसंद है। जब कभी दोस्तों का खाना करते हैं, तो साग-मीट जरूर…
घीसू की स्त्री का तो बहुत दिन हुए, देहान्त हो गया था। माधव का ब्याह पिछले साल हुआ था। जब से यह औरत आयी थी, उसने इस खानदान में व्यवस्था की नींव डाली थी और इन दोनों बे-गैरतों का दोजख…