भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त, 1915 में रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता अपने समय के प्रसिद्ध समाजसेवी थे जबकि प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बलराज साहनी इनके बड़े भाई थे। भीष्म साहनी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही…
भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त, 1915 में रावलपिंडी (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ था। इनके पिता अपने समय के प्रसिद्ध समाजसेवी थे जबकि प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बलराज साहनी इनके बड़े भाई थे। भीष्म साहनी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही…
चील ने फिर से झपट्टा मारा है। ऊपर, आकाश में मँडरा रही थी जब सहसा, अर्धवृत्त बनाती हुई तेजी से नीचे उतरी और एक ही झपट्टे में, मांस के लोथड़े को पंजों में दबोच कर फिर से वैसा ही अर्द्धवृत्त…
आज मिस्टर शामनाथ के घर चीफ की दावत थी। शामनाथ और उनकी धर्मपत्नी को पसीना पोंछने की फुर्सत न थी। पत्नी ड्रेसिंग गाउन पहने, उलझे हुए बालों का जूड़ा बनाए मुँह पर फैली हुई सुर्खी और पाउड़र को मले और…
खाट की पाटी पर बैठा चाचा मंगलसेन हाथ में चिलम थामे सपने देख रहा था। उसने देखा कि वह समधियों के घर बैठा है और वीरजी की सगाई हो रही है। उसकी पगड़ी पर केसर के छींटे हैं और हाथ…
घुमक्कड़ी के दिनों में मुझे खुद मालूम न होता कि कब किस घाट जा लगूँगा। कभी भूमध्य सागर के तट पर भूली बिसरी किसी सभ्यता के खंडहर देख रहा होता, तो कभी यूरोप के किसी नगर की जनाकीर्ण सड़कों पर…
उन्हीं दिनों पाकिस्तान के बनाए जाने का ऐलान किया गया था और लोग तरह-तरह के अनुमान लगाने लगे थे कि भविष्य में जीवन की रूपरेखा कैसी होगी। पर किसी की भी कल्पना बहुत दूर तक नहीं जा पाती थी। मेरे…
ऐन दुर्घटना के क्षण तक पहुँचते-पहुँचते मेरा मस्तिष्क धुँधला जाता है, मेरी चेतना दाएँ पैर के पंजे पर आकर लड़खड़ा जाती है और सारा दृश्य किसी टूटते घर की तरह असंबद्ध हो उठता है क्योंकि मैंने उस क्षण अपने दाएँ…
'पर वह भी पक्का घाघ था उसने आव देखा न ताव, सीधा डिप्टी-कमिश्नर के पास जा पहुँचा। जहाँ डिप्टी-कमिश्नर जिले का हाकिम होता है, वहाँ थानेदार अपने कस्बे का हाकिम होता है। डिप्टी-कमिश्नर से मिलते ही उसने हाथ बाँध लिए,…
जिन बातों ने जिंदगी भर परेशान नहीं किया था, वे जीवन के इस चरण में पहुँचने पर अंदर ही अंदर से गाहे-बगाहे कचोटने-कुरेदने लगती थी। अनबुझी-सी उदासी, मन पर छाने लगती थी। कभी-कभी मन में सवाल उठता, अगर फिर से…
मरने से एक दिन पहले तक उसे अपनी मौत का कोई पूर्वाभास नहीं था। हाँ, थोड़ी खीझ और थकान थी, पर फिर भी वह अपनी जमीन के टुकड़े को लेकर तरह-तरह की योजनाएँ बना रहा था, बल्कि उसे इस बात…