21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुगताई उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थी। उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने आज से लगभग 70 साल पहले पुरुष प्रधान…
21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुगताई उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थी। उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने आज से लगभग 70 साल पहले पुरुष प्रधान…
बड़ी देर के वाद – विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए। आखिर, ये मोटे-मोटे किस काम के हैं! हिलकर पानी नहीं पीते। इन्हें अपना काम खुद करने की आदत होनी चाहिए। कामचोर कहीं…
सफ़ेद चाँदनी बिछे तख़्त पर बगुले के परों से ज़्यादा सफ़ेद बालों वाली दादी बिलकुल संगमरमर का भद्दा-सा ढेर मालूम होती थीं। जैसे उनके जिस्म में ख़ून की एक बूँद ना हो। उनकी हल्की सुरमई आँखों की पुतलियों तक पर…
आराम कुर्सी रेल के डिब्बे से लगादी गई और भाई जान ने क़दम उठाया, “इलाही ख़ैर… या ग़ुलाम दस्तगीर… बारह इमामों का सदक़ा। बिसमिल्लाह बिसमिल्लाह… बेटी जान सँभल के… क़दम थाम के… पांयचा उठाके… सहज सहज।” बी मुग़्लानी नक़ीब की…
मेरा सर घूम रहा था… जी चाहता था कि काश हिटलर आ जाए और अपने आतिशीं लोगों से इस ना-मुराद ज़मीन का कलेजा फाड़ दे। जिसमें नापाक इन्सान की हस्ती भस्म हो जाएगी, सारी दुनिया जैसे मुझे ही छेड़ने पर…
“मैं उसके बिना जिन्दा नहीं रह सकती!” उन्होंने फैसला किया। “तो मर जाओ!” जी चाहा कह दूँ। पर नहीं कह सकती। बहुत से रिश्ते हैं, जिनका लिहाज करना ही पड़ता है। एक तो दुर्भाग्य से हम दोनों औरत जात हैं।…
राम अवतार लाम पर से वापस आ रहा था। बूढ़ी मेहतरानी अब्बा मियाँ से चिट्ठी पढ़वाने आई थी। राम अवतार को छुट्टी मिल गई। जंग ख़त्म हो गई थी न! इसलिए राम अवतार तीन साल बाद वापस आ रहा था,…
कमरे की नीम-तारीक फ़िज़ा में ऐसा महसूस हुआ जैसे एक मौहूम साया आहिस्ता-आहिस्ता दबे-पाँव छम्मन मियाँ की मसहरी की तरफ़ बढ़ रहा है। साये का रुख़ छम्मन मियाँ की मसहरी की तरफ़ था। पिस्तौल नहीं शायद हमलावर के हाथ में…
भाभी ब्याह कर आई थी तो मुश्किल से पंद्रह बरस की होगी। बढवार भी तो पूरी नहीं हुई थी। भैया की सूरत से ऐसी लरजती थी जैसे कसाई से बकरी। मगर सालभर के अंदर ही वो जैसे मुँह-बंद कली से…
’साहब मर गया’ जयंतराम ने बाजार से लाए हुए सौदे के साथ यह खबर लाकर दी।‘साहब- कौन साहब?’‘वह कांटरिया साहब था न?’‘वह काना साहब- जैक्सन। च-च-बेचारा।’मैंने खिडकी में से झांक कर देखा। काई लगी पुरानी जगह- जगह से खोडी हैंसी…