आधुनिक युग के विद्रोही कवियों में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उनकी कालजयी रचना ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पुस्तक एक खंडकाव्य है। इसकी रचना 1962 में भारत-चीन युद्ध के पश्चात हुई थी। इसके ज़रिए…
Poetry is a form of literature that uses aesthetic and often rhythmic qualities of language, such as phonaesthetics, sound symbolism, and metre to evoke meanings in addition to, or in place of, the prosaic ostensible meaning.
आधुनिक युग के विद्रोही कवियों में रामधारी सिंह ‘दिनकर’ का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उनकी कालजयी रचना ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ इसका उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पुस्तक एक खंडकाव्य है। इसकी रचना 1962 में भारत-चीन युद्ध के पश्चात हुई थी। इसके ज़रिए…
मृत्यु के पास आने के सौ दरवाज़े थे हमारे पास उससे बच सकने के लिए एक भी नहीं इस बार वह दबे पाँव नहीं आई थी उसने शान से अपने आने की मुनादी करवाई थी उसकी तीखी गंध हवा में…
दिया बुझा दिया है अभी मसल कर आहिस्ता डूबते धुएँ में देखता हूँ तुम्हारा पिघलता अक्स एक कैसी हो तुम ठीक इस वक़्त जब आवाज़ें बिखरने लगी हैं धुंध में शाम ने अंगड़ाई ली है और हल्के नशे में रात-सी…
दिल्ली के जंतर-मंतर पर खड़ा हूँ और वहाँ गूँज रही है अमरीका के लिबर्टी चौराहे से टाम मोरेलो के गीतों की आवाज़ मैं उस आवाज़ को सुनता हूँ दुनिया के निन्यानवे फ़ीसद लोगों की तरह और मिस्र के तहरीर चौक…
प्रतीक्षाओं के सुंदरवन में एक वनफूल तलाशता हूँ और न उसका रंग याद है अब न नाम एक धुँधली-सी छवि है कई बरस पुरानी तस्वीर जैसे धूल से अँटी और तलाशता हूँ मैं उसे शाम से सुबह तक रातों में…
थके-हारे चाँद के संग रह गया है यह अकेला एक तारा भोर की पहली किरण के ठीक पहले बालकनी मे खुल रही हो जैसे एक खिड़की धुँधलाई-सी रौशनी की और थकी आँखें मेरी अलसाए-से आकाश में एक चित्र बनाती हैं…
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब”को उर्दू का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है। मिर्ज़ा ग़ालिब उन शायरों में से हैं जिनको उनके जीवन में तो उतनी ख्याति तो न मिली लेकिन उनकी योग्यता और विद्वत्ता की धाक सभी पर…
एक जूतों की माप भले हो जाए एक-सी पिता के चश्मों का नंबर अमूमन अलग होता है पुत्र से जब उन्हें दूर की चीज़ें नहीं दिखतीं थीं साफ़ बिल्कुल चौकस थीं मेरी आँखें जब मुझे दूर के दृश्य लगने लगे…
तुम जिनके दरवाज़ों पर खड़े हो न्याय की प्रतीक्षा में उनकी दराज़ों में पियरा रहे हैं फ़ैसलों के पन्ने तुम्हारी प्रतीक्षा में एक इंसाफ़ की एक रेखा खींची गई थी जिसके बीचोबीच एक बूढ़ा भूखे रहने की ज़िद के साथ…
हम एक घर चाहते थे सुरक्षित हम से कहा गया राजगृह में एक आदमी तुम्हारा भी है तुम्हारी कमज़ोर भुजाओं में जो मछलियाँ हैं मरी हुईं उस आदमी की आँखों में तैर रही हैं देखो वह तुम्हारा आदमी है, उसका…