मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब”को उर्दू का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है। मिर्ज़ा ग़ालिब उन शायरों में से हैं जिनको उनके जीवन में तो उतनी ख्याति तो न मिली लेकिन उनकी योग्यता और विद्वत्ता की धाक सभी पर…
A memoir is any nonfiction narrative writing based in the author’s personal memories. The assertions made in the work are thus understood to be factual. While memoir has historically been defined as a subcategory of biography or autobiography since the late 20th century, the genre is differentiated in form, presenting a narrowed focus on person or object.
मिर्ज़ा असद-उल्लाह बेग ख़ां उर्फ “ग़ालिब”को उर्दू का सर्वकालिक महान शायर माना जाता है। मिर्ज़ा ग़ालिब उन शायरों में से हैं जिनको उनके जीवन में तो उतनी ख्याति तो न मिली लेकिन उनकी योग्यता और विद्वत्ता की धाक सभी पर…
खबर मजेदार है। अपनी मुम्बई भी अक्खी दुनिया में निराली नगरी है। यहाँ की समस्याएँ जितनी निराली होती हैं, उनके समाधान भी उतने ही मज़ेदार होते हैं। अब यही ट्रैफिक की समस्या को ही ले लो। दुनिया भर में है…
तब राजीव गांधी जिंदा थे। शायद प्रधान मंत्री भी थे। शायद क्या, प्रधान मंत्री ही थे। उन्हीं दिनों बाज़ार में नूप तेल आया था। सिर पर बाल उगाने का शर्तिया इलाज। इतना शर्तिया कि अनूप तेल वाले हर शीशी के…
बरसों बाद बम्बई लौटा हूँ। देख रहा हूँ, इस दौरान यहाँ बहुत कुछ बदल गया है। वैसे उन चीजों की सूची भी बहुत लम्बी है, जो नहीं बदली हैं। इस बीच बम्बई मुम्बई में बदल गयी। यहाँ सरकार बदल गई,…
मेरे शहर की मिट्टी बहुत उपजाऊ है। खेत में लाठी भी गाड़ दो तो सुबह तक उसमें अंकुए फूट आते हैं। यहाँ के लोग भी इतने ही क्रिएटिव हैं । कवि हृदय हैं, ठूंठ से ठूंठ धंधे में भी कविता…
शहर में आए दिन साहित्यिक और गैर साहित्यिक जमावड़े होते ही रहते हैं। शुरू-शुरू में मुझे बहुत तकलीफ होती थी कि मुझे किसी ऐसे आयोजन के लिए बुलावा क्यों नहीं आता। मैं बैठा कुढ़ता रहता कि देखो, सारा शहर साहित्य…
जब भी दिल्ली जाता हूं, दिल्ली मुझसे हर बार वही चार सवाल पूछती है – कब आये?– कहां ठहरे हैं?– किस किस से मिले? और– कब जायेंगे? बात शुरू से शुरू करता हूं। मैं दिल्ली में 78 से 81 तक…
पिछले कई दिनों से हमारा दूरदर्शन अंग्रेजी में एक संदेश दे रहा था कि हम सब भारतीय 30 जनवरी 1994 का दिन एकता रक्षाबंधन के रूप में मनाएँ, अपने-अपने शहर में मानव श्रृंखलाएँ बनाएँ और उस श्रृंखला में अपने बायीं…
मैं 1989 से 1995 लगभग 75 महीने अहमदाबाद में रहा। ज्यादातर अकेले ही रहना हुआ। बेशक मैं उस मायने में पियक्कड़ या शराबी नहीं माना जा सकता जिस मायने में यार लोग मिल बैठते ही बोतलें खोल कर बैठ जाते…
एक बार एक नाटक की रिहर्सल चल रही थी। संयोग से नाटक का निर्देशक उन्हीं के विभाग का एक टाइपिस्ट था और पाठक जी तब तक अधिकारी बन चुके थे। निर्देशक के बार बार समझाये जाने पर भी वे वही…