दिया बुझा दिया है अभी मसल कर आहिस्ता डूबते धुएँ में देखता हूँ तुम्हारा पिघलता अक्स एक कैसी हो तुम ठीक इस वक़्त जब आवाज़ें बिखरने लगी हैं धुंध में शाम ने अंगड़ाई ली है और हल्के नशे में रात-सी…
दिया बुझा दिया है अभी मसल कर आहिस्ता डूबते धुएँ में देखता हूँ तुम्हारा पिघलता अक्स एक कैसी हो तुम ठीक इस वक़्त जब आवाज़ें बिखरने लगी हैं धुंध में शाम ने अंगड़ाई ली है और हल्के नशे में रात-सी…
दिल्ली के जंतर-मंतर पर खड़ा हूँ और वहाँ गूँज रही है अमरीका के लिबर्टी चौराहे से टाम मोरेलो के गीतों की आवाज़ मैं उस आवाज़ को सुनता हूँ दुनिया के निन्यानवे फ़ीसद लोगों की तरह और मिस्र के तहरीर चौक…
प्रतीक्षाओं के सुंदरवन में एक वनफूल तलाशता हूँ और न उसका रंग याद है अब न नाम एक धुँधली-सी छवि है कई बरस पुरानी तस्वीर जैसे धूल से अँटी और तलाशता हूँ मैं उसे शाम से सुबह तक रातों में…
थके-हारे चाँद के संग रह गया है यह अकेला एक तारा भोर की पहली किरण के ठीक पहले बालकनी मे खुल रही हो जैसे एक खिड़की धुँधलाई-सी रौशनी की और थकी आँखें मेरी अलसाए-से आकाश में एक चित्र बनाती हैं…
एक जूतों की माप भले हो जाए एक-सी पिता के चश्मों का नंबर अमूमन अलग होता है पुत्र से जब उन्हें दूर की चीज़ें नहीं दिखतीं थीं साफ़ बिल्कुल चौकस थीं मेरी आँखें जब मुझे दूर के दृश्य लगने लगे…
तुम जिनके दरवाज़ों पर खड़े हो न्याय की प्रतीक्षा में उनकी दराज़ों में पियरा रहे हैं फ़ैसलों के पन्ने तुम्हारी प्रतीक्षा में एक इंसाफ़ की एक रेखा खींची गई थी जिसके बीचोबीच एक बूढ़ा भूखे रहने की ज़िद के साथ…
हम एक घर चाहते थे सुरक्षित हम से कहा गया राजगृह में एक आदमी तुम्हारा भी है तुम्हारी कमज़ोर भुजाओं में जो मछलियाँ हैं मरी हुईं उस आदमी की आँखों में तैर रही हैं देखो वह तुम्हारा आदमी है, उसका…
एक भीड़ है पगलाई हुई और पीछे जलते हुए घर तमाम मैं सड़क किनारे खड़ा हूँ किताबें सँभाले एक टूटे हुए लैंपपोस्ट की आड़ में खड़ा जाने किसे पुकार रहा हूँ और आवाज़ बुझे बल्ब के हल्के धुएँ में डूबती…
उपस्थित तो रहे हम हर समारोह में अजनबी मुस्कुराहटों और अभेद्य चुप्पियों के बीच अधूरे पते और ग़लत नंबरों के बावजूद पहुँच ही गए हम तक आमंत्रण-पत्र हर बार हम अपने समय में थे अपने होने के पूरे एहसास के…
तुम कहाँ होगी इस वक़्त? क्षितिज के उस ओर अपूर्ण स्वप्नों की एक बस्ती है जहाँ तारें झिलमिलाते रहते हैं आठों पहर और चंद्रमा अपनी घायल देह लिए भटकता रहता है तुम्हारी तलाश में हज़ार बरस भटका हूँ वहाँ नक्षत्रों…