बरसों के बाद उसी सूने- आँगन मेंजाकर चुपचाप खड़े होनारिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठनामन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठनाफिर आकर बाँहों में खो जानाअकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरीफिर गहरा सन्नाटा हो जानादो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों…
बरसों के बाद उसी सूने- आँगन मेंजाकर चुपचाप खड़े होनारिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठनामन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठनाफिर आकर बाँहों में खो जानाअकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरीफिर गहरा सन्नाटा हो जानादो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों…
अपने हलके-फुलके उड़ते स्पर्शों से मुझको छू जाती हैजार्जेट के पीले पल्ले-सी यह दोपहर नवम्बर की ! आयी गयी ऋतुएँ पर वर्षों से ऐसी दोपहर नहीं आयीजो क्वाँरेपन के कच्चे छल्ले-सीइस मन की उँगली परकस जाये और फिर कसी ही रहेनित…
तुम कितनी सुन्दर लगती होजब तुम हो जाती हो उदास !ज्यों किसी गुलाबी दुनिया में सूने खँडहर के आसपासमदभरी चांदनी जगती हो ! मुँह पर ढँक लेती हो आँचलज्यों डूब रहे रवि पर बादल,या दिन-भर उड़कर थकी किरन,सो जाती हो पाँखें समेट,…
वह है कारे-कजरारे मेघों का स्वामीऐसा हुआ कियुग की काली चट्टानों परपाँव जमाकरवक्ष तानकरशीश घुमाकरउसने देखानीचे धरती का ज़र्रा-ज़र्रा प्यासा है,कई पीढ़ियाँबून्द-बून्द को तरस-तरस दम तोड़ चुकी हैं,जिनकी एक-एक हड्डी के पीछेसौ-सौ काले अन्धड़भूखे कुत्तों से आपस में गुथे जा…
घाट के रस्तेउस बँसवट सेइक पीली-सी चिड़ियाउसका कुछ अच्छा-सा नाम है! मुझे पुकारे!ताना मारे,भर आएँ, आँखड़ियाँ! उन्मन,ये फागुन की शाम है! घाट की सीढ़ी तोड़-तोड़ कर बन-तुलसा उग आयींझुरमुट से छन जल पर पड़ती सूरज की परछाईंतोतापंखी किरनों में हिलती…
बरसों के बाद उसी सूने- आँगन मेंजाकर चुपचाप खड़े होनारिसती-सी यादों से पिरा-पिरा उठनामन का कोना-कोना कोने से फिर उन्हीं सिसकियों का उठनाफिर आकर बाँहों में खो जानाअकस्मात् मण्डप के गीतों की लहरीफिर गहरा सन्नाटा हो जानादो गाढ़ी मेंहदीवाले हाथों…
गोरी-गोरी सौंधी धरती-कारे-कारे बीजबदरा पानी दे! क्यारी-क्यारी गूंज उठा संगीतबोने वालो! नई फसल में बोओगे क्या चीज ?बदरा पानी दे! मैं बोऊंगा बीर बहूटी, इन्द्रधनुष सतरंगनये सितारे, नयी पीढियाँ, नये धान का रंगबदरा पानी दे! हम बोएंगे हरी चुनरियाँ, कजरी, मेहँदीराखी…
Since the publication of The Alchemist, Coelho has generally written at least one novel every two years. Four of them – The Pilgrimage, Hippie, The Valkyries, and Aleph – are autobiographical, while the majority of the rest are broadly fictional.…
21 अगस्त 1915 को उत्तर प्रदेश के बदायूं में जन्मी इस्मत चुगताई उर्दू साहित्य की सर्वाधिक विवादास्पद और सर्वप्रमुख लेखिका थी। उन्हें ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने आज से लगभग 70 साल पहले पुरुष प्रधान…
बड़ी देर के वाद – विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए। आखिर, ये मोटे-मोटे किस काम के हैं! हिलकर पानी नहीं पीते। इन्हें अपना काम खुद करने की आदत होनी चाहिए। कामचोर कहीं…