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Story

ये जो देश है मेरा…( कहानी को उधेड़ने के बाद)

हरलीन मेरी फेसबुक फ्रेंड थी। थी कहना कितनी तकलीफ दे रहा है। कल रात तक वह मेरे साथ थी और अब सचमुच थी हो गयी। याद करती हूं। सिर्फ हरलीन ही क्‍यों, रश्मि, कुमुद, चारू, चेरी और पल्‍लवी से भी तो नाता हरलीन के जरिये ही जु़ड़ा था। हरलीन मेरी डाइरेक्‍ट फेसबुक फ्रेंड थी और बाकी सब हरलीन की या म्‍युचुअल फ्रेंड थीं या आपस में हमारा सर्किल बढ़ता चला गया था और हम सब आपस में एक दूजे से जुड़ती चली गयी थीं। एक ही बरस के भीतर हम सब इतनी अंतरंग दोस्‍त बन चुकी थीं कि लोग हैरान होते थे कि फेसबुक से इतनी अच्‍छी दोस्‍त भी तलाशी और बनाये रखी जा सकती हैं।

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