इस अनिश्चित जीवन में स्थायी बस सहेज लिए गए दुःख हैं वह रौशनी के लिए खोलती है खिड़कियाँ बाहर पत्थर उसकी प्रतीक्षा में रहते हैं सुख बाईं आँख में भूल से पड़ आया एक कंकड़ है जो ढेर सारे पानी…
इस अनिश्चित जीवन में स्थायी बस सहेज लिए गए दुःख हैं वह रौशनी के लिए खोलती है खिड़कियाँ बाहर पत्थर उसकी प्रतीक्षा में रहते हैं सुख बाईं आँख में भूल से पड़ आया एक कंकड़ है जो ढेर सारे पानी…
पूर्वार्द्ध मैंने अपनी देह सहेजीऔर आत्मा को प्रताड़ित कियाउसे अक्सर विषाद के खौलते तेल में तड़पता छोड़ दिया या आँसुओं के खारेपन में डूब जाने दिया,स्मृतियों के गहन वन में भटकतीवह भूलती गई वापसी का रास्ता, अपना अनंत संगीत विस्मृत…
New age writers are dealing with Indian mythology with a different stroke. Innovation is the aspect & relevance is the base of it. Every miraculous happening is being described and analyzed to the core. The untold ‘in between the lines’…