कहानी लेखक, उपन्यासकार और एक सक्षम अनुवादक के रूप में जाने जाने वाले सूरज प्रकाश का जन्म देहरादून, उत्तराखंड (तब उत्तर प्रदेश) में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री प्राप्त की और बाद में उस्मानिया विश्वविद्यालय से एमए किया। वे अपने बारे में लिखते हैं,
मैं यानी मैं
हम अक्सर दर्पण नहीं देखते इसलिए अपने आपको बहुत कम पहचानते हैं। और कहीं हमें दर्पण देखने की लत लग जाये तो हम अपने आपको इतना ज्यादा जानने-पहचानने लगते हैं कि अपने और सिर्फ अपने बारे में घंटों, दिनों और महीनों तक अच्छी अच्छी बात करते रह सकते हैं। भला हमारी निगाह में हमसे बेहतर कथा नायक कौन हो सकता है। दोनों ही स्थितियों में हम खुद भी अंधेरे में रहते हैं और सामने वाले को भी अंधेरे में रखते हैं।
मैं बहुत अरसे तक इस भ्रम में रहा कि मैं औरों से बेहतर इन्सान हूं। सही समझ रखता हूं, सही वक्त पर सही फैसले करता हूं और संतुलित जीवन जीता हूं। मैं ये भी मान कर चलता रहा कि मैं टुच्चा तो नहीं ही हूं बेशक कुछेक कमज़ोरियां मुझ में रही हों। मैं इस मु्गालते में भी रहा कि जिस तरह मैं अपनी निगाह में बेहतर इन्सान हूं, दूसरों की निगाह में भी मैं उतना ही श्रेष्ठ, बेहतरीन और अनुकरणीय हूं।
लेकिन मैं जल्दी ही धरती पर उतर आया और तब से अपने बारे में, अपने लेखन के बारे में और अपने किये और न किये गये कामों के बारे में अब कोई भ्रम नहीं पालता। मैं ये स्वीकार करता हूं कि मैं पूरे जीवन में कोई भी बड़ा तीर नहीं मार सका और न ही मैंने अपने लेखन के ज़रिये कोई क्रांति ही की है। मुझे जितने लोग चाहने वाले हैं, उससे ज्यादा न चाहने वाले होंगे। मैं सीधा सादा जीवन जीता हूं और संतुष्ट रहता हूं। मैंने देखा है कि दुनिया में एक से बढ़ कर एक तीस मार खां भरे पड़े हैं और अपुन की कहीं कोई गिनती नहीं है। हां, इतना ज़रूर है कि ईमानदार जीवन जीया अपनी सामर्थ्य भर परिवार, समाज और देश के प्रति अपने छोटे मोटे कर्तव्य निभाता रहा। बेशक दूसरों के लिए ज्यादा काम करना चाहिये था और कर भी सकता था।
पैंतीस बरस की उम्र में लिखना शुरू किया। अब तक पचास कहानियां, सौ के करीब व्यंग्य और लेख, चार उपन्यास और तीस चालीस लघु कथाएं लिखीं। अंग्रेज़ी और गुजराती से चौदह महत्वपूर्ण किताबों के अनुवाद किये। कुछेक किताबों का संपादन किया। रेडियो, दूरदर्शन पर भागीदारी की। कहानी संग्रहों और उपन्यासों पर कई एमफिल और पीएचडी के लिए कार्य हुए। कुछ कहानियां दूरदर्शन पर आयीं। एक बहुत बड़ा पाठक वर्ग मेरे हिस्से में भी आया बेशक दोस्त कम ही रहे। अकेलापन हमेशा रास आया। यायावरी भी की और खूब पढ़ा भी। फिल्में देखने का चस्का बीच बीच में ज़ोर मारता रहता है। शास्त्रीय संगीत सुनना भला लगता है। बच्चों का साथ भी। आत्म कथाएं और प्रेम कहानियां पढ़ना हमेशा अच्छा लगता है।
कुछेक शौक ज़रूर पूरे किये बेशक जो शौक कभी पूरे न करे सका, उनकी सूची लम्बी है और उसका मलाल हमेशा सालता रहेगा। पतंग उड़ानी अगर बयालीस बरस की उम्र में सीखी तो नाचना छप्पन बरस की उम्र में और सच कहूं नाच के जो आनन्द आया, उसे बयान नहीं किया जा सकता। पहाड़ों की खूब ट्रैकिंग की। कथा यूके से जुड़ा हुआ हूं और उसके लिए काम करने में सुकून मिलता है।
तो भई ये ही अपनी राम कहानी है। जो कुछ रच पाया, वह यहीं इन्हीं पन्नों पर आस पास बिखरा हुआ है। हो सकता है, आपको बांधे रखे कुछ देर के लिए।
आमीन
कहानियाँ
सूरज प्रकाश जी का कहना है कि उन्होंने देर से लिखना शुरू किया लेकिन इतना काम कर लिया है कि अब देरी से लिखने का मलाल नहीं
सालता। बेशक पचास के करीब कहानियां लिखी होंगी। सूरज प्रकाश जी के अब तक आठ कहानी संग्रह हैं -
अधूरी तस्वीर (1992), छूटे हुए घर – (2002), खो जाते हैं घर (2012), मर्द नहीं रोते (2012), छोटे नवाब बड़े नवाब (2013), संकलित कहानियां (2014), लहरोंं की बांसुरी तथा अन्य कहानियां (2016), दस चर्चित कहानियां (2019)।
सूरज प्रकाश जी का एक कहानी संग्रह गुजराती में भी है - साचासर नामे जो 1996 में छपा था।
उपन्यास
सूरज प्रकाश जी के चार उपन्यास हैं- हादसों के बीच (1998), देस बिराना (2002), नॉट इक्वल टू लव (2017) तथा
ख्वाबगाह (2019)।
व्यंग्य संग्रह
सूरज प्रकाश जी के दो व्यंग्य संग्रह हैं - ज़रा संभल के चलो 2002 और दाढ़ी में तिनका 2011में छपा था।
शोध
सूरज प्रकाश जी कि शोध आधारित एक किताब है लेखकों की दुनिया (2018)
जीवनी
2020 में सूरज प्रकाश जी कि जीवनी 'उम्र भर देखा किये' प्रकाशित हुई है।
अनुवाद
सूरज प्रकाश जे ने मूल लेखन के अलावा गुजराती और अंग्रेज़ी से बहुत अनुवाद किये हैं और उनका कहना है कि इस काम में उन्हें संतोष भी बहुत मिला है।
अंग्रेज़ी से हिंदी में अनुवाद -
जॉर्ज आर्वेल का उपन्यास एनिमल फार्म, गैब्रियल गार्सिया मार्खेज के उपन्यास Chronicle of a death foretold का अनुवाद, चार्ली चैप्लिन की आत्म कथा का अनुवाद जो 2006 में आधार प्रकाशन से छपा। चार्ल्स डार्विन की आत्म कथा का अनुवाद जो NCERT से 2009 में
छपा। मिलेना (जीवनी) का अनुवाद 2004 में छपा। ऐन फ्रैंक की डायरी का अनुवाद 2002 में छपा। इसके कुछ अंश NCERT द्वारा प्रकाशित 12वीं कक्षा की किताब वितान में कई बरसों से पढ़ाये जा रहे हैं। इनके अलावा कई विश्व प्रसिद्ध कहानियों के अनुवाद प्रकाशित होते रहे हैं।
गुजराती से हिंदी में अनुवाद
गुजराती भाषा के प्रसिद्द व्यंग्यकार विनोद भट की तीन पुस्तकें, गुजराती के महान शिक्षा शास्त्री गिजू भाई बधेका की दो पुस्तकें दिवा स्वप्न और मां बाप से का तथा दो सौ बाल कहानियाँ सूरज प्रकाश जी के अनुवाद के जरिये हिंदी पाठकों तक पहुंचीं।
दिनकर जोशी के उपन्यास प्रकाशनो पडछायो का अनुवाद किया। ये उपन्यास गांधी जी के बड़े बेटे हरिलाल के जीवन पर आधारित है। इसके अलावा महात्मा गांधी की आत्म कथा सत्य के मेरे प्रयोग का अनुवाद राजकमल प्रकाशन के अनुरोध पर किया। यह पुस्तक पेपर बैक और हार्डबाउंड दोनों में उपलब्ध है
सम्पादन
लेखन व अनुवाद के साथ ही साथ सूरज प्रकाश जे ने लगभग 9 पुस्तकों का संपादन भी किया है। सूरज प्रकाश जी ने साहित्य के अलावा 6 पुस्तकों का संपादन अपनी नौकरी के सिलसिले में किया।
बंबई 1, बंबई पर आधारित कहानियों का संग्रह है, कथा लंदन यू. के. में लिखी जा रही हिन्दी कहानियों का संग्रह है और कथा दशक कथा यू.के. से सम्मानित 10 रचनाकारों की कहानियों का संग्रह है।
रिज़र्व बैंक के लिए जिन 6 पुस्तिकों का सम्पादन किया, वे हैं 1. लघु वित्तन 2. रिटेल बैंकिंग 3. एसएमई
सम्मान
सूरज प्रकाश जी के लिखे शब्दों को जो सम्मान मिले, वे हैं गुजरात साहित्य अकादमी का सम्मान और महाराष्ट्र
अकादमी का प्रेम चंद तथा राज्य स्तरीय सम्मान। इनके अलावा 2009 में मुंबई की संस्था आशीर्वाद की
और से सारस्वत सम्मान, वागीश सम्मान 2020।
रेडियो व दूरदर्शन
सूरज प्रकाश जी कि कहानियों का रेडियो पर लगभग 30 बरस से अनवरत प्रसारण हो रहा है । कई कहानियाँ यू ट्यूब पर आडियो में उपलब्ध हैं । दूरदर्शन के कई केन्द्रों पर साक्षात्कार आदि का प्रसारण। इनके अलावा छोटे नवाब और बड़े नवाब तथा डर कहानियों का दूरदर्शन पर फिल्म के रूप में प्रदर्शन हुआ है।
ऑडियो
विशेष उपलब्धियाँ
सूरज प्रकाश जी के शौक हैं-घूमना, ट्रैकिंग, संगीत सुनना, फिल्में देखना, आत्म कथाएं और प्रेम कहानियां पढ़ना और अपने अकेलेपन में मस्त रहन। सूरज प्रकाश जी के परिवार में पत्नी मधु और दो बेटे अभिजित और अभिज्ञान। बड़ी बहू पल्लवी।
संपर्क
Blog - http://kathaakar.blogspot.com
फेसबुक पर दो खाते- सूरज प्रकाश तथा suraj prakash
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