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धूमिल के गाँव में....जहाँ कोई सपना नहीं है। न भेड़िये का डर। बच्चों को सुलाकर औरतें खेत पर चली गई हैं!

गाँव में शहराती जमाई राजा बना फिरता है। गाँव के भोले भाले लोग किसी भी जीन्स पेंट टाई वाले बाबू साहब के सामने माधुर्य भाव से देखते हैं। वहाँ शहरों की तरह गूगल...


धूमिल शब्दसजग एक बेलौस कवि हैं: श्रीप्रकाश शुक्ल

उन्होंने कहा कि धूमिल इतने सजग कवि और चिन्तक हैं कि कई बार कविता में वे जितने यथार्थवादी होते हैं, गद्य में उतने ही दार्शनिक। धूमिल की कविता से आप शब्द नहीं...

#धूमिल
हमारे समय में धूमिल: ओम निश्‍चल

अपनी कवि-परंपरा से सुपरिचित धूमिल उस राह पर नहीं चलना चाहते थे जिस राह पर चल कर अज्ञेय ने प्रयोगवाद का परचम फहराया, नई कविता ने व्‍यक्‍तिवादी प्रवृत्तियों...


जन्‍मदिन विशेष: सुदामा पाण्‍डेय धूमिल भाषा के बारे में सोचते हुए उसको डायनामाइट मानते थे

क्‍या संयोग है कि यह जिस कवि की कविता है यानी धूमिल, वे मुक्‍तिबोध की तरह नवंबर महीने में जन्‍मे. किसी ज्‍योतिषीय संयोग के नाते नहीं किन्‍तु केवल चार दिन के...


स्मृतियों में कवि धूमिल | वे कुछ दिन कितने सुन्दर थे

धूमिल अक्सर बीस किलोमीटर साइकिल चलाकर अपने गाँव खेवली चले जाते. बनारस में जब रुकते तब कोयले की अँगीठी पर दाल-भात-चोखा या खिचड़ी बनाते. आग सुलगाने के लिए निरर्थक...


धूमिल के साहित्य के केंद्र में है लोकतंत्र की आलोचना, पुण्यतिथि पर संगोष्‍ठी का आयोजन

धूमिल की कविता में भारतीय लोकतंत्र के अंतरविरोधों की गहरी आलोचना के साथ ही उनके यहाँ पक्ष और विपक्ष पूरी तरह स्पष्ट है। विपक्ष अगर संसद और लोकतांत्रिक व्यवस्था...


विजय शिंदे का आलेख - धूमिल की कविता में आदमी

‘धूमिल’ की कई कविताओं में रह-रहकर ‘आदमी’ आ जाता है और आदमी यह शब्द ‘पुरुष’ और ‘स्त्री’ का प्रतिनिधित्व करता है। 1947 को आजादी मिली और हर एक व्यक्ति खुद को बेहतर...


धूमिल की कविताओं में व्यवस्थाओं पर आक्रोश विषय पर संगोष्ठी

जनसंदेश न्यूज़ वाराणसी... सुदामा पांडे धूमिल हिंदी की समकालीन कविता के दौर के मील के पत्थर सरीखे कवियों में एक है। उनकी कविता में परंपरा, सभ्यता, सुरुचि, शालीनता...


भीड़ की भाषा तो कविता बनने से रही

यह लेख दैनिक जागरण, गोरखपुर में शनिवार 18 सितम्बर 2021 को प्रकाशित किया गया था। भीड़ की भाषा तो कविता बनने से रही *********** कविता प्रतीकों से छूट रही है ।यह शुभ लक्षण...


Sudama Pandey Dhoomil Death Anniversary : हिंदी कविता के ‘एंग्री यंग मैन’ थे सुदामा पाण्डेय ‘धूमिल’

9 नवंबर 1936 को उत्तर प्रदेश के बनारस में पैदा हुए प्रसिद्ध कवि सुदामा पाण्डेय धूमिल की आज पुण्‍यतिथि है। उनकी मृत्‍यु 10 फरवरी 1975 को हुई थी। हिंदी की समकालीन कविता...